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"एक नहीं दो जान थी वो इंसान के भेष में हैवानियत स

"एक नहीं दो जान थी वो 
इंसान के भेष में हैवानियत से अनजान थी वो,
तुम्हारे दिए जहर को भी फल समझ के खा गई
शायद भूख से परेशान थी वो,
तुम्हारी लगाई आग से तड़पती रही 
तुम इंसानो की इंसानियत जरा भी नहीं काँपी
बेज़ुबान जानवर कितनी लाचार थी वो"।
-विंध्या #riphumanity😞  #R❤️🅿️
"एक नहीं दो जान थी वो 
इंसान के भेष में हैवानियत से अनजान थी वो,
तुम्हारे दिए जहर को भी फल समझ के खा गई
शायद भूख से परेशान थी वो,
तुम्हारी लगाई आग से तड़पती रही 
तुम इंसानो की इंसानियत जरा भी नहीं काँपी
बेज़ुबान जानवर कितनी लाचार थी वो"।
-विंध्या #riphumanity😞  #R❤️🅿️