Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat लोरीं भी क़िस्मत में नहीं। मां के हथैलियों के छालें। अरमान दबा देते है। भूख को भी अदमरी सी हालत। में आंखो में छिपा लेता हूं। कुछ आंखो से बहा देता हूं। ख़ुद लुरी से सुना लेता हूं। गरीब क्या जाने Bufet.. उसे क्या मतलब Deasert से.. माँ की लोरी मिल जाये वो सो जायगा comfort से ... pc fb