दिल के कोने से सदाएँ आ रही हैं ज़िन्दगी में लौटकर वफ़ाएँ आ रही हैं दश्त-ए-दिल में कलियाँ खिल रही हैं मुद्दतों बाद मुहब्बत की हवाएँ आ रही हैं मिज़ाज शहर का आज बदला बदला सा है उस ओर से सावन की घटाएँ आ रही हैं निकहत जो फैली थी हर ओर कहाँ गुम है बहार से पहले ही खिजाएँ आ रही हैं ये कैसा 'सफ़र' ज़ीस्त का फ़िर हो गया है हर मोड़ पर अब बस जाफ़ाएँ आ रही हैं निकहत- महक जाफ़ाएँ- violence, injustice ♥️ Challenge-567 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।