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इसे नियति का शेष न मानो आँखों में अब भी कुछ सपने

इसे नियति का शेष न मानो 
आँखों में अब भी कुछ सपने पालो.....
अँधेरे बंद कमरे के 
झरोखे सेआती रौशनी पर 
एक नज़र डालो......
सोच के भग्नावशेष अब भी बाकी हैं 
पराजित न समझो खुद को सम्हालो......  
अँधेरा हौले हौले छटने लगा है 
ख़्वाबों को एकबार फिर से सजा लो ...... kavita nice kavita
इसे नियति का शेष न मानो 
आँखों में अब भी कुछ सपने पालो.....
अँधेरे बंद कमरे के 
झरोखे सेआती रौशनी पर 
एक नज़र डालो......
सोच के भग्नावशेष अब भी बाकी हैं 
पराजित न समझो खुद को सम्हालो......  
अँधेरा हौले हौले छटने लगा है 
ख़्वाबों को एकबार फिर से सजा लो ...... kavita nice kavita