एक गीत! प्रेम ने दुनिया रची है, हम प्रणय के गीत रचते। दुर्जनों का साथ दे निज कर्म से वे रोज़ भागें। सो गया था चित्त उनका पर अभागे नैन जागें। हर तरफ अन्याय पसरा हर तरफ अपराध था सो- जागरण के राग भरकर हम समय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,........... मर रही हैं भावनाएं है अनय अंतिम चरण पर। कर रहें आलाप हम सब आज के सीता हरण पर। किन्तु कोई राम भी है जो उन्हें छुड़वा रहा है- रावणों को मृत्यु देकर; हम विजय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,................. दुर्बलों के हेतु संबल हम बने यह एषणा है। हो सतत सद्भावना ही यह हृदय की भावना है। हर थकन की हो पराजय धर्म की जय-जय सदा हो लोक हित में हम निकल कर अभ्युदय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,..................... प्रशांत मिश्रा मन #NojotoQuote एक गीत! प्रेम ने दुनिया रची है, हम प्रणय के गीत रचते। दुर्जनों का साथ दे निज कर्म से वे रोज़ भागें। सो गया था