तो देखोंं यारों बेरुख़ी कुछ इस कदर छाई है जैसे बिन बादल बरसात आई है। जहन से उतरती नही याद उसकी याद रह रह कर फिर आई है। अश्क छलकते है कुछ इस कदर जैसे सावन ने झड़ी लगाई है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1011 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।