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गीला-वीला कीचड़-वीचड़, जगह-जगह जल होने में,

  गीला-वीला कीचड़-वीचड़, जगह-जगह जल होने में,
     ये महिने दो-तीन बचें हैं, मुझको बादल होने में !
     इन हाथों के पत्थर से, ये दुनिया घायल होने में,
       यारों थोड़ा समय तो दो, पूरा पागल होने में !!

~ अख्तर हिन्दुस्तानी

©कुछ लफ्ज़ यूं ही...
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