चारों तरफ फैला है, कॉरोना का कहर, साँप से भी ज़हरीला लगता है ये ज़हर। कभी हिन्दु-मुस्लिम दंगों का ज़ोर था, आज ज़ोरों पर मौत के भय की लहर। कितने ही अपराधों ने जन्म था लिया, अब क्यों हर तरफ़ इन्सानियत का बहर। मौत का डर ही इलाज आज हर जुर्म का, डर से परे कभी तो इन्सानियत पे ठहर। काम-धन्धे हो गये अब इस तरह मन्दे, कि बदलाव अब ज़रूरी हो गया हर पहर। जानवर सी रह गई दूसरे इन्सान की ज़िन्दगी, कभी दूसरों की मौत पे ज़िन्दगी सी कर मेहर। ऐ इन्सान ! कभी तो इन्सान सा अब तू बन, भगवान् क्यों खोजे कभी यों कॉरोना सा कहर। Thanks Raj Soni ji for remembering me #कॉरोना_वायरस #ज़हरीला #कहर #जुर्म #ज़िन्दगी #इन्सानियत