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चपल,चंचल सी नैनों में, कहाँ तुझको छुपालूं मै। न

चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।
 न बातों  ख़बर  मुझमें,
 न जज़्बातों का क़दर मुझमें।
 न देखी मै अभी दुनियां,
 कैसे दुनियां बनालूँ मै।

 अभी नदियों की पानी हूँ,
 दुबकी हुई कहानी हूँ।
 अभी ख़ुद से ही रूठी हूँ ,
 कैसे तुझको मनालूँ मै।

 मुलाकातों का न मंज़र हैं,
 ख़्यालातों का न कोई डर हैं।
 अभी सहमी सी साँसे हैं, 
 कैसे धड़कन बनालूँ मै।।
 चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।।
  
   #स्वरचित....#शिल्पी सिंह❤ #विधा....#कविता
 
 चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।
 न बातों  ख़बर  मुझमें,
 न जज़्बातों का क़दर मुझमें।
 न देखी मै अभी दुनियां,
 कैसे दुनियां बनालूँ मै।
चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।
 न बातों  ख़बर  मुझमें,
 न जज़्बातों का क़दर मुझमें।
 न देखी मै अभी दुनियां,
 कैसे दुनियां बनालूँ मै।

 अभी नदियों की पानी हूँ,
 दुबकी हुई कहानी हूँ।
 अभी ख़ुद से ही रूठी हूँ ,
 कैसे तुझको मनालूँ मै।

 मुलाकातों का न मंज़र हैं,
 ख़्यालातों का न कोई डर हैं।
 अभी सहमी सी साँसे हैं, 
 कैसे धड़कन बनालूँ मै।।
 चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।।
  
   #स्वरचित....#शिल्पी सिंह❤ #विधा....#कविता
 
 चपल,चंचल सी नैनों में,
 कहाँ तुझको छुपालूं मै।
 न बातों  ख़बर  मुझमें,
 न जज़्बातों का क़दर मुझमें।
 न देखी मै अभी दुनियां,
 कैसे दुनियां बनालूँ मै।
shilpisingh7524

Shilpi Singh

New Creator