न रहा गोरी न रहे पृथ्वी राज, गोरों का भी अब न रहा राज, भड़काऊ कुछ अब भी दगाबाज़, छिप जाते घृणा करके आगाज़, मरते निर्दोष न एक चालबाज, आमजन का बंद होता कामकाज, बनायें न हम इसे जुनूनी एतराज़! #अनुरोध #Delhi_Riots