(एक मुलाकात) एक वक्त था, जब हम थे अजनबियों की तरह तो फिर– क्या ये मुलाकात ज़रूरी थी? बातें, कुछ उनसे–कुछ मुझसे हुई क्या ये बातें ज़रूरी थी? परिस्थितियां अब हमारे अनुकूल नहीं है क्या ये हालतें ज़रूरी थी? एक वक्त था, जब हम थे अजनबियों की तरह तो फिर– क्या ये मुलाकात ज़रूरी थी? क़िस्मत की लकीरें कह दूं या फिर कह दूं वक्त का खेल, ऐसी मुलाकात भी क्या मुलाकात जब रहनी इसे अधूरी थी... हां, एक वक्त था, जब हम थे अजनबियों की तरह तो फिर– क्या ये मुलाकात ज़रूरी थी? (2)... Suraj ©Suraj Agarwal #eveningtea #एक मुलाकात# # # बेबाक लेखक 💌✍️ 😞