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आत्महत्या करना ही अपने आपमें क्रूरता है इसमें न


आत्महत्या  करना ही अपने आपमें  क्रूरता है
इसमें ना केवल स्वयं की हत्या होती वरन्
पूरे परिवार की हत्या होती है परिवार के आलावा
मानसिक आत्महत्या की चपेट में आता है आसपड़ोस और सारा समाज....

अक्सर देखा जाता है एक घटना हो जाने के बाद फ़िर से उसी तरह की कई घटनाएं  सुनने और देखने मिलती हैं।
जो जीवन संघर्ष करने के लिये मिला उसको इस तरह छोड़ कर भागना
वो भी तब जब क्रोध आया, इतना डरपोक।

नौ माह गर्भ में ढोने के बाद, कितने दिनों दर्द से छटपटाने के बाद,जन्म मिला तुम्हें,
तुम्हारा जन्म तुम्हारी इच्छा से नहीं हुआ ओर न ही तुम अपनी इच्छा से मृत्यु को चुन सकते हो,
तुम्हारा जीवन तुम्हारा नहीं, बल्कि माँ बाप परिवार का है तुम्हारी श्वास उनकी श्वास है तुम्हारी श्वास उनकी ताकत हैं उनके सपने ही उनका जीवन है  इसे झुठलाया नहीं जा सकता,
आत्महत्या को स्वीकार करना माँ बाप के लिये असंभव सा  है वो जिंदा मौत जीने लगते हैं ,
जीवन बीच में छोड़कर भागने का मतलब शायद तुम कभी समझे नहीं मृत आत्मा की अतृप्त इच्छाएं जो उसे मरने के बाद भी शांत नहीं रहने देती  इसी चराचर जगत में भटकती रहती हैं  इस तरह तुम कभी  जीवन से मुक्ति नहीं पा सकते, जो तुम सशरीर रहते हुये कर सकते हो वो आत्महत्या के द्वारा कभी संभव नहीं...

सब जीवों में श्रेष्ठतम है मानव जीवन जो ज्ञान के द्वारा स्वयं को मोक्ष की ओर ले जा सकता है

©करिश्मा ताब
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