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वो ग़म भी देते हैं मगर चालाकी से। वो मरहम भी देते

वो ग़म भी देते हैं मगर चालाकी से।
वो मरहम भी देते हैं मगर चालाकी से।
फिर मैं कैसे न तुम से दिल लगाऊ,
वो सुख़नसाज़ भी देते हैं मगर चालाकी से। चालाकी
वो ग़म भी देते हैं मगर चालाकी से।
वो मरहम भी देते हैं मगर चालाकी से।
फिर मैं कैसे न तुम से दिल लगाऊ,
वो सुख़नसाज़ भी देते हैं मगर चालाकी से। चालाकी