कहती यही है उसकी मुस्कान धीरे धीरे । छीन लूंगी अब तुम्हारी जान धीरे धीरे । अभी तो आई है आराम करने दो । जायेगी मुझे भी वो पहचान धीरे धीरे । एक नजर वो मुझको वो देख भी ले । कम जायेगी उसकी भी उडा़न धीरे धीरे । वर्षो पहले बेशक सोचा था यही नादाँ । उतरेगी अब नाक से आन धीरे धीरे । नादाँ रुपौवी की ग़ज़लें उन्हें सुना दें । मिट जायेगी उसकी तका़न धीरे धीरे । -------------नादाँ रुपौवी