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मखमल सी जमी पर,कुछ ख्वाहिशें उग आई न इनको आबो-जमी

मखमल सी जमी पर,कुछ ख्वाहिशें उग आई
न इनको आबो-जमी डर 
न मेरी ख्वाहिशों को मुफ़्लसी का 
बस वक्त बेवक्त उग आती है...
मखमल सी जमी पर,कुछ ख्वाहिशें उग आई
न इनको आबो-जमी डर 
न मेरी ख्वाहिशों को मुफ़्लसी का 
बस वक्त बेवक्त उग आती है...