सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ , जिन्दगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ । अभी वक़्त है सैर कर लो , गर आ गयी रात तो शाम सुहानी फिर कहाँ । कभी बैठो हवाई जहाज़ में और लो सपनों की उड़ान , कभी देखो उस फ्लाइट स्टीवरडेस की प्यारी मुस्कान। कभी हज़ारों फ़ीट की ऊँचाईं पर जहाज में खाना खा के देखो , कभी पहाड़ की चोटी पर खड़े होके गाना गा के देखो । कभी जाओ समंदर किनारे और ठंडी हवा लो , खुद को उस हवा में पूरा बहा दो । कभी रेत पर नंगे पाव चलके देखो , दुनिया कितनी हसीन है निकल के देखो। अगर नही देखा तुमने कुछ भी तो ये कहानी फिर कहाँ , सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ। सफर में रहो । 😊 सफर में रहो