कह देना मन में कहने को कुछ आए तो, रख लेना यादों में हमको.. तनिक जो.. कभी तेरा दिल छू पाए तो.. देखो ना.. मरू है सूखा, दरिया खारा, कौन है...बोलो इश्क़ की प्यास बुझाए जो। ‘अबोध’ है.. समझा देना ना प्यार से कुछ ऐसा हो.. ग़र मुझे न समझ में आए तो। .. अबोध_मन//“फरीदा” ©अवरुद्ध मन कहोगे नहीं...फिर भी समझ जाऊँगी... पर चाहती हूं कि तुम ख़ुद उसे ज़ुबान दो।❤️ © फ़क़त “फरीदा” #अबोध_मन #अबोध_poetry #कहीं_अनकही #बिछड़ते_अपने