मैं अपनी किताबों मे उलझा हुआ था कि वो मेरे पास आकर बैठ गए और मेरे मन मे ख्याल आया कि आज अनन्या को सच बता ही देता हूँ मैने अनन्या से कहा सुनो! मैने तुमसे कोई ज़रूरी बात करनी है क्या तुम मुझे लाइब्रेरी के बाहर मिल सकती हो। "अनन्या ने कहा" ' ठीक है तुम चलो मैं आती हूँ'। शेखर धूप में खड़े रहकर इंतज़ार करने लगा और अनन्या बहुत देर बाद आई और आते ही कहा। मुझे माफ़ कर दो मेरी वज़ह से तुम्हें कितनी देर तक कड़ी धूप में मेरा इंतज़ार करना पड़ा। "शेखर ने कहा" 'कोई बात नही' अनन्या के पूछने पर की अब बताओ क्या बात थी कि तुमने मुझे बाहर बुलाया शेखर उसे मन ही मन मे प्यार करता था उस वक़्त दिल की धड़कने तेज़ चलने लगी थी और घबराहट भी रही थी हिम्मत जुटाते हुए शेखर ने बोल ही दिया- अनन्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ पिछले 5 सालों से मैं लाइब्रेरी तुम्हारी वज़ह से आता था। अनन्या के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई जो शेखर को मन को खुशी दे रही थी "अनन्या ने शेखर की तरफ देखते हुये कहा " इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि कब तुम मुझसे प्यार का इज़हार करोगे शेखर ये बात सुनकर फूले ना समा रहा था उसका चेहरा खुशी से लाल हो गया। दोनों ने एक दूसरे को खुशी से गले लगाया।और दोनों को अपना हमसफ़र मिल गया। #Vo_mere_pass_aaye #nojotoindi #stories #लम्होंकीदास्तां #nojotocouplestory