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हमें वतन से है ऐसी उल्फत यह शान लेकर ही चल रहे हैं

हमें वतन से है ऐसी उल्फत यह शान लेकर ही चल रहे हैं,
शहीद होकर अमर हुए हैं बदन पर मिट्टी को मल रहे हैं ।।

सपूत हूं मादरे वतन का मैं फूल हूं अपने इस चमन का,
यह बात उनको समझ में आए जो लोग मुस्लिम से जल रहे हैं ।।

फिरंगी यों से मैं लड़ रहा था कसीदे उनके यह पर रहा था,
जो खुद को कहते हैं देश प्रेमी वह मुखबिरों के ही दल रहे हैं ।।

बयान हर दिन नया सुनाया यहां से जाओ यह गीत गाया,
जो हक पर हैं यह वतन उन्हीं का तेरी नजर में जो खल रहे हैं ।।

आसिफ अपना हमीद होता तो जाफरी क्यों शहीद होता,
जला हूं जिंदा मैं अपने घर में तभी तो शोले उबल रहे हैं ।।

©꧁☆ᗩѕιf ᕼιηɗυѕтαηι☆꧂ हमें वतन से है ऐसी उल्फत यह शान लेकर ही चल रहे हैं,
शहीद होकर अमर हुए हैं बदन पर मिट्टी को मल रहे हैं ।।

सपूत हूं मादरे वतन का मैं फूल हूं अपने इस चमन का,
यह बात उनको समझ में आए जो लोग मुस्लिम से जल रहे हैं ।।

फिरंगी यों से मैं लड़ रहा था कसीदे उनके यहां पर रहा था,
जो खुद को कहते हैं देश प्रेमी वह मुखबिरों के ही दल रहे हैं ।।
हमें वतन से है ऐसी उल्फत यह शान लेकर ही चल रहे हैं,
शहीद होकर अमर हुए हैं बदन पर मिट्टी को मल रहे हैं ।।

सपूत हूं मादरे वतन का मैं फूल हूं अपने इस चमन का,
यह बात उनको समझ में आए जो लोग मुस्लिम से जल रहे हैं ।।

फिरंगी यों से मैं लड़ रहा था कसीदे उनके यह पर रहा था,
जो खुद को कहते हैं देश प्रेमी वह मुखबिरों के ही दल रहे हैं ।।

बयान हर दिन नया सुनाया यहां से जाओ यह गीत गाया,
जो हक पर हैं यह वतन उन्हीं का तेरी नजर में जो खल रहे हैं ।।

आसिफ अपना हमीद होता तो जाफरी क्यों शहीद होता,
जला हूं जिंदा मैं अपने घर में तभी तो शोले उबल रहे हैं ।।

©꧁☆ᗩѕιf ᕼιηɗυѕтαηι☆꧂ हमें वतन से है ऐसी उल्फत यह शान लेकर ही चल रहे हैं,
शहीद होकर अमर हुए हैं बदन पर मिट्टी को मल रहे हैं ।।

सपूत हूं मादरे वतन का मैं फूल हूं अपने इस चमन का,
यह बात उनको समझ में आए जो लोग मुस्लिम से जल रहे हैं ।।

फिरंगी यों से मैं लड़ रहा था कसीदे उनके यहां पर रहा था,
जो खुद को कहते हैं देश प्रेमी वह मुखबिरों के ही दल रहे हैं ।।