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Rayphile

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Rayphile

बन साथी इस डगर के
थाम हाथ इस सफ़र में
तुमने मुस्कुराया इस कदर से
चांदनी बन छायी इस तरह से
शुक्रिया मेरे साथी 
मेरे जीवन के हमराही # साथी

# साथी #अनुभव

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Rayphile

मुबारक हो तुम्हें
ये जन्मदिन तुम्हारा
खुश नसीब हू मै
जो रब ने हमें मिलाया
ज्ञात नहीं हमें
यह जन्मदिन तुम्हारा
आधार बना कर यादों को
मैंने हर बारह जुलाई को
तुम्हारा जन्म दिन मनाया
मेरा मन तब तब हरशाया
जब जब मन ने तुम्हारी तस्वीर बनाया
याद नहीं कुछ और
सिवा तुम्हारी उस मुस्कान के
सिर्फ तुम्हारा नाम है याद
और वो हमारा शांति शिक्षा सदन
जिस भूमि ने हमें मिलाया
वो तुम्हारा कक्षा में प्रथम आना
और वो कुछ कहकर मुझसे इतराना
तुम बन कर आयी
मेरे जीवन में रश्मि
तुम्हे तलाशती आज भी
मेरे जीवन की कश्ती #birthday
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Rayphile

अर्धांगिनी

आभा स्वरूप प्रभा की
ऊर्जा सम नव रश्मि की
एकाकी डगर का पथ सहगमिनी
निस्वार्थ निश्छल मनोबंधन की चांदनी
विविध जीवन रंग छलकाती
घन तिमिर में प्रज्वलित ज्योति
लहलहाती करुणा की सी नदी
आजीवन सम समधुर रस बंधन
पूर्ण समर्पण प्रति सहचर निकेतन
सदन सखा की अर्धशक्ति 
कहलाती है ये अर्द्धांगिनी
बनती प्रेरणा स्वरूप नित पल
उन्नति और समृद्धि का आधार #अर्धांगिनी
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Rayphile

हिंदी

हिंदी हमारी पहचान 
हिंदी हमारा अभिमान 
भाव होते जिसमें  प्रकट 
भाषा है यह उत्कृष्ट 
है यह वैज्ञानिक भाषा 
जिसमें छलकती हमारी पहचान 
सहज निज विचारों में इसका है बंधन 
जो तब भी नहीं है छूटती
 जब मन में हो कोई क्रंदन 
यह हमारी अनूठी भाषा 
सरिता स्वरूप है यह 
जिसने हमारी संस्कृति को है  सींचा 
ज्ञान को संजोने 
परंपरा को बनाए रखने का 
माध्यम है हिंदी 
विचारों को  अलंकृत करती है 
हिंदी 
विभिन्न भाषाओं से जोड़ती है हिंदी 
हर भारतीय का गौरव है हिंदी 
हमारी पहली पहचान है हिंदी ।

लकी चंद्रा #हिंदी
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Rayphile

निंदिया रानी

नित नई सुबह से मिलवाती
प्रतिदिन निशा को प्रातः से जोड़ती
यात्रा थकावट से शुरू करती
फिर ताज़गी की तीर ठहरती
निंदिया रानी हमें सुलाती
कभी बीते कल से मिलाती
तो कभी आगामी पल से जोड़ती
भविष्य का संकेत है देती
कभी हैरानी का तोहफा है देती
निंदिया रानी हमें सुलाती
नित रात्रि ऊर्जा का संचयन है करती
आगामी दिन तरो ताज़गी से भरती
असम्भव को भी संभव कर दिखाती
तो कभी मनचाही डगर दिखाती
निंदिया रानी हमें सुलाती
विश्राम की परिधि से घिरी 
सच्चाई और कल्पना से घिरी
इसके आगे सब है शून्य 
शून्य में भी कभी पहुंचाती
निंदिया रानी हमें सुलाती
कहानी की डोर से 
विचारों के छोर से
गुजरती  हुई भोर से
सवेरे के  छोर पर
निद्रा रानी हमें  पहुंचाती
सांसों की रफ्तार को थामती
सपनो की सैर कराती
निद्रा रानी हमें सुलाती

लकी चंद्रा #निंदिया रानी
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Rayphile

चल पड़े है कदम
राहों की डगर पर
कभी रुक रुक कर
तो कभी सरपट
हूं अभी मझधार में
पर अभी भी है
उम्मीदों का कारवां
ये राहें दुष्कर है
तो क्या यकीनन 
मंज़िल खूबसूरत होगी
ये सफ़र है मेरे अपनों का
सिर्फ मेरा अपना नहीं
थकते है कदम
इसकी परवाह नहीं
जुनून लक्ष्य का 
पथ रोशन कर रहा 
मिलेंगे साथी कभी
तो कभी अरि भी
ये साथी है पथ के
अवधि नहीं सुनिश्चित
पर साध्य है मंज़िल के
है कदमों के निशा पीछे
जो मेरी प्रेरणा को सींचे
यह सिर्फ राह नहीं है
यह मंजिलों की शुरुआत है #पथ
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Rayphile

Path 
चल पड़े है कदम
राहों की डगर पर
कभी रुक रुक कर
तो कभी सरपट
हूं अभी मझधार में
पर अभी भी है
उम्मीदों का कारवां
ये राहें दुष्कर है
तो क्या यकीनन 
मंज़िल खूबसूरत होगी
ये सफ़र है मेरे अपनों का
सिर्फ मेरा अपना नहीं
थकते है कदम
इसकी परवाह नहीं
जुनून लक्ष्य का 
रोशन कर रहा पथ
मिलेंगे साथी कभी
तो कभी अरि भी
ये साथी है पथ के
अवधि नहीं सुनिश्चित
पर साध्य है मंज़िल के #पथ
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Rayphile

माँ का आँचल किस्मत की वादियों में
वो अनमोल नगीना है,
है लख लख शुक्रिया
उस ईश्वर को,
जिसकी अनुकम्पा से
माँ जैसी सौगाद से,
जगमग है हर आम की झोली
तपती धूप में है,
ये ममता की छांव ।
खुशियों की बारिश
में अपने लाल को नहलाती,
एक छोटी नन्ही कली को
गुणों की खान है बनाती।
ज़िन्दगी को खुशियों से भरकर,
जिसने हर शिकायत को खुद में समेटा है।
और क्या कहूं मां के विषय में,
इस धरा पर खुदा ने स्वयं को 
इस 'मां' के  रूप में समेटा है। #माँ
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Rayphile

बचपन की यादों में
मेरे जज्बातों में
फिर वो तरंग उठ रही है
पूरी हो रही है वो बिम्ब
जो थी अब तक अधूरी
जो अब तक थी कल्पना में
वो अाज मुकम्मल हो रही है
वो फिर वही झलकियां 
उन लम्हों की कड़ियां
मुझे उसके वहीं होने का साक्ष्य दे रही है
फिर वही हवाओं का दौर
आज मेरे संग हो रही है


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