पूरी कविता कृपया नीचे दी गयी link पर पढ़ें
#उठ_युवा_हुन्कार_भर
https://rohitkumaraarya.blogspot.com/2018/01/blog-post_10.html
Rohit Kumar(R.K)
दुःख से बोझिल सभी यहाँ हैं हम फिर कहाँ अकेले हैं
मन में घोर #एकाकीपन है बाहर- बाहर मेले हैं
दूर दूर से भली भलाई पास रहो दुखदाई है
सुख हो दुःख हो, अच्छा या बुरा जीवन में क्या स्थायी है?
#findingyourself#कविता