अपनो के किए फैसले पर कुछ ऐसे सिर झुकाया है..!
जैसा था ही नहीं, मैंने वैसा सच सबको बताया है..!!
छुपा कर कड़वा सच अब हंस कर,
मीठा झूठ कहने लग गई हूं मैं..!!
हां, ऐ जिंदगी अब बदल गई हूं मैं...!!😊
जबसे ये सिंदूर बिंदिया मैंने अपने माथे पर सजाया है..!
तब से गर रोती हैं आंखे फिर भी लबों से मुस्कुराया है..!! #Shayari#वज़ह