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prakash4355
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prakash

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prakash

तूम हो morden आज सी,मै बीते पुराने कल सा हूं 
तुम हो बर्गर पिज़्ज़ा सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,!!

तुम अतरंगी पेहनावा हो,मै कुरता धोती जैसा हूं
तुम शाही पकवान हो प्रिये,मै सुखी रोटी जैसा हूं,,!!

तुम मखमल का कोमल सिरहाना,मै फटी पुरानी चादर हूं
तुम हेलो- हाय का नया रीवाज़,मै पाँव चुने का आदर हूं,,!!

तुम पेहनो ब्रांडेड सैंडल ,मै घिसी टूटी चप्पल हूं 
तुम भाग्यशाली तुम भाग्यवान,मै बदकिस्मती मे अव्वल हूं ,,!!

असंभव से इस मेल ने असमंजस मे मुझको डाला है
प्रेम बड़ा या भाग्य बड़ा ये प्रश्न अति निराला है,,!!

तुम्हारी मेहंगी कार प्रिये,मै एक टूटी फूटी सायकल सा हूं,

तुम हो burrger pizza सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,,!!





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©prakash
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prakash

नज़रें मिलते ही,
उसने मारे शर्म के पलकें झुकाई ऐसा मुझे लगता है..

हाँ सिर्फ मुझे देख,
 सुर्ख होठों पे हंसी की रंगोली बनाई ऐसा मुझे लगता है..

कानों ने सुना, ओ भाईसाहब जरा सुनो!
मगर
अजी सुनते हो! उसने ये आवाज लगाई,
ऐसा मुझे लगता है... 🤪

@prakash_writes_04

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©prakash
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prakash

बारी जब मेरी तारीफ की आयी,
रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,,

बोली जब मेरे हुनर की लगी,
देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,,

किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर
शायर!
गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे
वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे ....






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©prakash
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prakash

आँखों की मासूमियत पर नहीं, नजर तेज पंजो पे रख,
यहाँ खरगोश की खाल मे शिकारी बहोत है

चेहरे पर मुस्कुराहट और
 दिल मे खंजर लेकर चलते है ये,
 ज़माने मे दिखावे की बीमारी बहोत है

तन ढकने  के कपडे से मन परखने वालों,
जरा ध्यान से
यहाँ सूट-बूट पहनकर घूमते भिखारी बहोत है...




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©prakash
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prakash

इस तरह मशरूफ़ हुँ जिंदगी बनाने मे शायर,
ये भी भूल गया हुँ के जीना किसे कहते है...












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©prakash
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prakash

सो चुकी है कलम तेरी, 
आलसी तेरी स्याही हो रही है
सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, 
देख!
जहाँ मे तबाही हो रही है









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©prakash
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prakash

वो पत्तों, फूलों की खुसगवारी मे बेसुध था,
जड़े कमजोर है उसे इल्म ना था

ईमान के बदले इनाम चाहता था वो शायद 
ये मक्कारी का दौर है उसे इल्म ना था...








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©prakash
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prakash

ज़रूरी है   गिरे कुछ बून्द स्याही पन्नों पर
तो आफत हो जाएगी
कहें होंठ कुछ रु-बरु उनके
शायद ये खिलाफत हो जाएगी

लफ्ज़-बा-लफ्ज़ झलकता है
झूठ शायर की आवाज़ मे

संभालकर! किसी ने सुन लिया
तो क़यामत हो जाएगी.....

©prakash
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prakash

फरेब की शक्ल और दोखेबाज़ी का वजूद लेकर,
बेवफाई का गुनाह फिर भी, वफ़ा का सबूत लेकर,,

इस खूबसूरत सी दुनिया पर एक दाग बनकर,
मैं फिर लौट आया हूँ, लफ्जो मे झूठ लेकर....




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©prakash

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prakash

#RIPRohitSardana इस जिंदगी की भीड़-भाड़, नोक-झोक और तकरार मे,
तुम आज भी मुझे इतवार सी लगती हो...💞









✍️✍️

©prakash
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