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hariomshrivastav7489
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Hariom Shrivastava

M.A., LL.B. Rtd. Commercial Tax Officer, Bhopal, M.P.

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Hariom Shrivastava

- कुण्डलिया -  "क्रोध"
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1-
क्रोधी को  इस बात का, रहे  न  कोई  बोध।
क्षतिकारक होता सदा, जब भी आता क्रोध।।
जब भी आता क्रोध, बुद्धि भी  है  चकराती।
भले-बुरे  की  बात, ज़रा भी समझ न आती।।
क्रोध मनुज का शत्रु, प्रगति का भी अवरोधी।
तन-मन-धन सब नष्ट, स्वयं  करता है  क्रोधी।।
2-
आता है जिस व्यक्ति को, बात-बात में क्रोध।
संभावित  नुकसान  का, उसे न रहता बोध।।
उसे न रहता बोध,  क्रोध  से  बुद्धि  नशाती।
समझाइश की बात, समझ में उसे न आती।।
अति क्रोधी इंसान, किसी  को  नहीं सुहाता।
खो देता सुख-शांति, क्रोध जिसको भी आता।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava #againstthetide  हिंदी कविता

#againstthetide हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White  - कुण्डलिया  - “बँटोगे तो कटोगे” 
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पति का मोबाइल मिला, बार-बार जब व्यस्त।
पत्नी ने मैसेज तब, लिखा बहुत ही मस्त।।
लिखा बहुत ही मस्त, ‘बँटोगे अगर कटोगे’।
फिर तुम सबको छोड़, हमेशा मुझे रटोगे।।
पढ़ते ही आभास, हुआ पति को निज गति का।
पत्नी को तत्काल, फोन आया तब पति का।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava #love_shayari  हिंदी कविता  हिंदी कविता

#love_shayari हिंदी कविता हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

शुभ धनतेरस


- कुण्डलिया -

धनतेरस पर श्रीमती, चलीं गयीं बाजार।
मुझको लेकर साथ में, घूमी घण्टे चार।।
घूमी घण्टे चार, लिए कुछ जेवर बर्तन। 
इससे उस दूकान, कराया मुझको नर्तन।।
खत्म हुआ बैलेंस, और मैं भी था बेबस।
मनी इस तरह आज, हमारी तो धनतेरस।।

-हरिओमश्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #Dhanteras  हिंदी कविता  हिंदी कविता

#Dhanteras हिंदी कविता हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

धनतेरस  - कुण्डलिया - 
धनतेरस पर अब मुझे, रही न धन की चाह।
तन-मन स्वस्थ रहे सदा, इसकी है परवाह।।
इसकी है परवाह, कृपा धन्वंतरि करिए।
जीवन के संताप, हमेशा हरते रहिए।।
प्रभु जी इतनी चाह, ज़िंदगी रहे न बेरस।
भरे रहें भण्डार, सभी को शुभ धनतेरस।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #धनतेरस  हिंदी कविता  हिंदी कविता

#धनतेरस हिंदी कविता हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White आपको व आपके परिवार को धनतेरस की शुभकामनाएँ तथा - "कुछ दोहे" -
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1-
अक्टूबर उन्तीस को, धनतेरस का पर्व।
इन त्यौहारों पर हमें, होता है अति गर्व।।
2-
सबको प्रभु धन धान्य दें, सारे बनें अमीर।
धन्वंतरि भगवान दें, सबको स्वस्थ शरीर।।
3-
धनतेरस के पर्व पर, हो स्वर्णिम समृद्धि।
लक्ष्मी जी सबकी करें, धन-दौलत में वृद्धि।।
4-
भरा रखें सबका सदा, लक्ष्मी जी भण्डार।
धन-दौलत यश कीर्ति का, रहे न पारावार।।
5-
जितनी है इंसान को, धन-दौलत की चाह।
उतनी हो आरोग्य की, काश उसे परवाह।।
-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #Dhanteras  हिंदी कविता

#Dhanteras हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

⚜️शुभ धनतेरस⚜️

आपको व आपके परिवार को धनतेरस की
हार्दिक शुभकामनाएँ तथा -एक दोहा-
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

सबको प्रभु धनधान्य दें, सारे बनें अमीर।
धन्वन्तरि भगवान दें, सबको स्वस्थ शरीर।।
खूब शुभ हो धनतेरस।।

~हरिओम श्रीवास्तव~
-सुधा श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #HappyDhanteras2023  हिंदी कविता

#HappyDhanteras2023 हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White - कुण्डलिया -

भारी पड़ जाती कभी, सिर्फ़ एक ही भूल।
जो करती इंसान की, इज़्ज़त नष्ट समूल।।
इज़्ज़त नष्ट समूल, व्यक्ति वह खुद करवाता।
जो खुद को सिरमौर, मान जिद पर अड़ जाता।
खाते जिद्दी लोग, हमेशा मात करारी।
कोई-कोई भूल, गुणों पर पड़ती भारी।।

 - हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava #good_night  हिंदी कविता

#good_night हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White करवा चौथ की शुभकामनाएँ तथा
एक कुण्डलिया -

व्रत में करवा चौथ के, त्याग समर्पण प्रेम।
माँगे जीवनसंगिनी, पति का मंगल क्षेम।।
पति का मंगल क्षेम, रहे खुशहाली आए।
सुंदर महँगी गिफ्ट, शाम को पति दिलवाए।।
लड्डू दोनों हाथ, उँगलियाँ पाँचों घृत में।
बढ़े परस्पर प्रेम, चौथ करवा के व्रत में।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava #karwachouth  कविता हिंदी कविता

#karwachouth कविता हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White -कुण्डलिया-

कितना होता जा रहा, मानव आज कठोर।
बना रहा दीवार खुद, अपने चारों ओर।।
अपने चारों ओर, बनाया है परकोटा।
अपना ही संसार, कर लिया उसने छोटा।।
अपनों से ही दूर, हो रहा क्यों वह इतना।
होगा अब संकीर्ण, और आखिर वह कितना।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #sad_shayari  हिंदी कविता

#sad_shayari हिंदी कविता

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Hariom Shrivastava

White -’सार छंद’ में एक रचना -

जिस भारत में पूजी जाती, मिट्टी की भी नारी।
उसी धरा पर आज हो गए, क्यों इतने व्यभिचारी।।
शिक्षित होकर क्या समाज ने, चाल चरित्र गँवाया।
क्या कानून अपंग हमारा, या कलियुग का साया।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava #love_shayari  हिंदी कविता

#love_shayari हिंदी कविता

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