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veenakhandelwal8698
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Veena Khandelwal

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Veena Khandelwal

#करवा_चौथ_की_सभी_को_शुभकामनायें

#अमर_सुहाग

कर सोलह श्रृंगार सजी मैं,पाऊं पिया का प्यार।

आयो री सखी करवा चौथ त्यौहार ।
आयो री सखी पिय प्यारे का वार ।
मांगू मैं तो मां गौरी से अपना अमर सुहाग।
करूं सोलह श्रृंगार  माता माँगू तुझसा भाग।

मांगू अटल सुहागन आशिष मैया इस त्यौहार।
कर सोलह श्रृंगार सजी मैं पाऊं पिया का प्यार।

रोली मोली मेंहदी चूनर,  मां को करूं मैं अर्पण।
मां मेरी ये विनती सुनना रखना सदा सुहागन।
घर का चिराग अमर रखना माँ दीप करूं मैं अर्पण।
घर में खुशियाँ सदा विराजे ,करते माँ तेरा वंदन।

सभी पूजते चंद्रदेव को इस शुभ मंगल त्यौहार ।
कर सोलहश्रृंगार सजी मैं पाऊं पिया का प्यार।
 
चंद्रदेव तू जल्दी आजा करूं मैं तेरा पूजन।
सदा सुहागन रहूं सदा मैं करती तेरा वंदन।
जब तक तेरी  चांदनी है रखना मुझे सुहागन।
सजी धजी मैं रहूं सदा ही पहनूं चूंदड़, कंगन।

चलो सखी शुभ मंगल गाओ, सबका प्रिय त्यौहार।
कर सोलह श्रृंगार सजी मैं ,पाऊं पिया का प्यार।

वीणा खंडेलवाल
तुमसर #Karwachauth
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Veena Khandelwal

सभीको दशहरे की शुभकामनाएँ... 🙏🙏
#रावण_के_राम_से_प्रश्न

हे रघुकुल शिरोमणी रामचंद्र,तुमसे पूछूं क्या चंद प्रश्न।
कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम हो हर साल मारते मुझको तुम

यहां क्रुर दरिंदे गली गली, क्या इसमें  तेरा फर्ज़ नहीं ? 
जहाँ आब लूट रही बाला की ,ऐसा करना क्या हर्ज नहीं? 
मैं सिया हरण का पाप किया, लेकिन मर्यादा तोड़ी क्या ? 
हां कर्म धर्म से था राक्षस ,फिर भी हाथों से छुआ क्या?
हे राघव अब ये बाण चला , कुछ छद्मी राम रहीम पे तुम.
कैसे मर्यादा------
मैने लूटा पर देशों को, औ निर्मित की स्वर्णिम लंका।
पर जरा तुम्हारे धनिकों पर, क्यों तुमको आई ना शंका.
ये श्वेत वस्त्र में ढोंगी ही, तेरा ही धन लूटा करते.
अपने ही देश के पैसों को,चुपचाप विदेशों में भरते.
हे राघव चलाओ बाण अब  जरा इन द्रोहियों पर तुम. 
कैसे मर्यादा---------
लगी थी शक्ति जब लक्ष्मण को ,सुषेण लंका से ही आया।
बिना ही मोल के उसने तो  वैद्यकिय फर्ज निभाया.
पर तेरे स्वदेश के डाक्टर, कहता पैसा भरो पहले.
बिना पैसे के यहाँ मरते, हजारों लोग यों कह लें.
यह अंतर  हमारे बीच का, राघव जरा देखो तो तुम.
कैसे मर्यादा-----
हर बार मुझे ही सजा मिली जो मैंने बस एक पाप किया ।  
 हर चौराहे जला जला मुझ मरे को ही बदनाम किया । 
 हे मर्यादा पुरुषोत्तम अब, मर्यादित देश आबाद बना  . 
इस बार नये रावण कुछ चुन, जिनने भारत बरबाद किया.
हे राम पाप पर आरक्षण ? कलियुग में इतना बंद करो.
कलियुग त्रेता का भेद जरा, हे समभावी तुम बंद करो.
कुछ नये पापियों के पूतले , इस बार जरा जलवाओ तुम.
कैसे मर्यादा----
veena

©Veena Khandelwal #steps
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Veena Khandelwal

2अक्टूबर          गाँधी जयन्ती की शुभकामनायें


रंगबिरंगी गेंदे लेकर ,   देखो है बुधिया आया ।
खुद के सपने बेचे बच्चा,बच्चों की खुशियाँ लाया।

शाला छोड़ काम को निकला,ये किस्मत का मारा है।
उमर है छोटी बड़ी जरुरत, खुद ही खुद से हारा है। 
कहता था मैं खूब पढ़ूंगा,पिता कर्ज ना दे पाया। 
रंग बिरंगे गेंदें लेकर ,देखो है बुधिया आया।

माँ घर घर में बरतन माँजे,देना बहना का गौना ।
पिता कमाये बहुत ही थोड़ा,साहुकार को पैसे होना।
इतने साल बाद क्या हमने ,गाँधी का भारत पाया।
रंग बिरंगे गेंदें लेकर , देखो है बुधिया आया।

वीणा खंडेलवाल
तुमसर #GandhiJayanti2020
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Veena Khandelwal

#बचपन

याद आ रहा माँ का आँचल,औ प्यारा सा बचपन।
बाबू कांधे खूब घूमाते  ,      क्यों आया तू पचपन।

आज विधाता कहे माँग ले ,  हमसे कुछ तू बच्चा।
तो ना चाहूं धन दौलत कुछ,बस मांगू दिल सच्चा।
बिना कपट का प्यारा बचपन,भले मिले दिन छप्पन।
याद आ रहा मां का आँचल , औ प्यारा सा बचपन।

पीहर की गलियाँ-चौबारे , धमा चौकड़ी सबकी ।
धूम मचाती तोड़ फोड़ को,माँ ने खूब सहन की।
भागे फांदे लांघ दिवालें  ,  खेला अटकन चटकन।
याद आ रहा माँ का आँचल,औ प्यारा सा बचपन।

कभी लगे जिद करूं जरा सी  ,   रुठूं कोई मनाये।
पर अब सबकी जिद पूरी कर ,मां की याद सताये।
कभी घाघरे की जिद थी तो ,कभी कान की लटकन।
याद आ रहा मां का आँचल  ,  औ प्यारा सा बचपन।

वीणा खंडेलवाल 
तुमसर #Stoprape
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Veena Khandelwal

कोविड की उहापोह में बचपना याद आ गया---

*बचपन*

याद आ रहा माँ का आँचल,औ प्यारा सा बचपन।
बाबू कांधे खूब घूमाते,क्यों आया तू पचपन।

आज विधाता कहे माँग ले ,हमसे कुछ तू बच्चा।
तो ना चाहूं धन दौलत कुछ,बस मांगू दिल सच्चा।
बिना कपट का प्यारा बचपन,भले मिले दिन छप्पन।
याद आ रहा मां का आँचल औ प्यारा सा बचपन।

पीहर की गलियाँ-चौबारे , धमा चौकड़ी सबकी ।
धूम मचाती तोड़ फोड़ को  , माँ ने खूब सहन की।
भागे फांदे लांघ दिवालें,खेला अटकन चटकन।
याद आ रहा माँ का आँचल,औ प्यारा सा बचपन।

कभी लगे जिद करूं जरा सी, रुठूं कोई मनाये।
पर अब सबकी जिद पूरी कर ,मां की याद सताये।
कभी घाघरे की जिद थी तो ,कभी कान की लटकन।
याद आ रहा मां का आँचल,औ प्यारा सा बचपन।

वीणा खंडेलवाल 
तुमसर #HindiDiwas2020
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Veena Khandelwal

#वेदना

हाय  ये  कैसी  घड़ी  है वेदना  ही  वेदना  है।
आज कोरोना बढ़ा है किस तरह भी बेधना है ।
हर तरफ आतंक फैला,हैं नुमाइश बने रिश्ते -
क्या करे परिवार वो मजबूर बस संवेदना है।

×××××××××××××××××××××××
वेदना में कोई अपना ,           वेदना के शूल चुभते,
हम ना कर सकते कहीं कुछ,प्रश्न  के ही मूल चुभते।
खास अपने तो बहुत है ,  चाह कर भी दूर है सब-
पत्थरों पाषाण रिश्ते   ,     नयन मानों धूल चुभते।।

×××××××××××××××××××××××××××
कलम काँपे ,भाव सूखे,छंद फिर कैसे बने अब,
शब्द गुंगे तन वितन सा,आज ईश्वर शुभ करे सब।
वो करे मंगल सभी का, आश सब की पूर्ण होगी-
तुम सुधारो ईश अब सब, तंग करती वेदना जब।।

वीणा खंडेलवाल
तुमसर #reading
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Veena Khandelwal

परदेशी मैं लिख रही,प्रेम भरी इक पाती।
हे बेदर्दी क्यों तुम्हे , याद न मेरी  आती।
कोई सौतन है वहाँ? सच्ची बात बताना।
बिना तुम्हारे हम नहीं , हमको ना यूं सताना।




वीणा खंडेलवाल
तुमसर #ShiningInDark
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Veena Khandelwal

*विभूति*  for your special day

*वि--->विहान की खिलती कली   या   विश्व की अनुपम कृति*।
*भू---->भूमि की अनुपम सुमन*,
*भूषित सदा मुस्कान से*।
*ति----- > तिमिर में दीपक की ज्योति*
*दिव्यता चपला भरी*
 
Happiest birthday dear ever smiling Vibhuti🌹🌹🙌🙌🍱🍰🍨🍦
 your pure true smile make you very very special

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Veena Khandelwal

प्रेम परिभाषा  शुरू औ अंत  , राधे श्याम है।
प्रेम पावन राधिका औ श्याम का, निष्काम है।
प्रेम की उपमा किशन राधा, कभी उपमान है।
प्रेम हो राधा किशन जैसा,     यही सम्मान है।

प्रेम सागर    प्रेम पर्वत       प्रेम है पावन  नदी।प्रेम को पढ़ना कठिन है,कम पड़े अगणित सदी।
प्रेम है पूजा कि थाली  ,        प्रेम पूजा पर्व है।
प्रेम की सीमा     युग  राधा किशन ही सर्व है।



वीणा खंडेलवाल 
तुमसर #reading
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Veena Khandelwal

कभी जो शब्द ही सिलगे ,वहाँ फिर आग तो होगी।
ये चिनगारी बनी ज्वाला,वहां फिर  फिर राख भी होगी

समझ के शब्द को तौलो जरा सोचो तभी बोलो।
वही अमरित सदृश बोली ,कभी वरदान भी होगी। #Forest
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