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sakshijain3449
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SAKSHI JAIN

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SAKSHI JAIN

White रिश्ते जोड़ना भगवान के हाथ में जरूर है
लेकिन 
निभाना आपको ही पड़ेगा

©SAKSHI JAIN
  #love
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SAKSHI JAIN

जिम्मेदारियां निभाना
उम्र नहीं
अक्सर हालात सीखा देते है।

©SAKSHI JAIN #love
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SAKSHI JAIN

White 
विचार

न किसी से रहा गया 
न किसी से सहा गया
ऐसा सितम ढहा
न किसी से कहा गया

©SAKSHI JAIN
  #love
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SAKSHI JAIN

White खबर सबकी है
फिर भी
बेखबर हूँ
हर खबर से।

©SAKSHI JAIN
  #sad
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SAKSHI JAIN

White कल तक लोग हमें सर्च करते थे
और 
आज हम लोगो को सर्च करते है।

©SAKSHI JAIN
  #love
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SAKSHI JAIN

White किस किस की नजरों से तुम्हे छुपा कर रखु
तुम सबकी नजरो में आ ही जाते हो।

©SAKSHI JAIN
  #my love
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SAKSHI JAIN

White स्मृतियाँ विशेष हो
परन्तु
ख्वाहिशे शेष रह गई

©SAKSHI JAIN
  #Sad_shayri
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SAKSHI JAIN

White 



प्रसव पीड़ा


दर्द भरी  थी जिसकी आने  की आहट।
मन बेचेंन था और हो रही थी घबराहट।।
ज्यो-ज्यो  ही दूरिया नजदीकियों में बड़ी।
त्यों-त्यों  ही  मैं  घड़ी  को  देखती  रही।।
किसी  ने पाँव   पकड़े  तो किसी ने हाथ।
चीख रही थी पटक2 कर पैर और लात।।
कोई  मन को बहलाता कोई सिर को सहला रहा।
कोई  समझा  बुझा  कर  मेरा हौसला बड़ा रहा।।
कितने   महीनों   से  था  जिस   पल  का इंतजार।
आया  नन्हा मेहमान  लेकर  खूबसूरत सी बहार।।
भूली  सारे   दर्द   और  भूल  गई   सारे  हर   घाव।
गोद  में    लिया    चूमने   लगी   सिर  और  हाथ।।

©SAKSHI JAIN
  #माँ
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SAKSHI JAIN

मृत्यु


निर्मोही सी वो
गले लगाती सबको
धनी हो या दानी
गरीब हो या भिखारी
परोसती है सबको
बराबर से
मृत्यु की थाली 
वज्रपात होता जब
तन- मन पर
बहता अंखियों से पानी
पर रस्म तो रस्म है
रस्म जरूर है निभानी
कुछ हँसकर झूल जाते
कोई झुलसकर गले लगाते
कुछ जीवन का आनंद लेते-2
मन मुग्ध हो जाते है
कठू है पर सत्य जिंदगी का
मुट्टी बांधकर आने वाले
खाली हाथ ही लौट जाते है।

©SAKSHI JAIN
  #death
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SAKSHI JAIN



वंशी


खो गई हूं निज के
अंतरंग में
जितना गहराई में 
जा रही हूँ
आत्मानुभूति का बोध
होने के साथ-साथ
आनन्द की अनुभूति
होने लगी है पर्याप्त
क्षण भंगुर लगने लगा
संसार
मोक्ष मार्ग का द्वार
खुला दिख रहा है मात्र
निज के दर्शन होने से
प्रज्ज्वलित हो रही है
शक्तियां मुझमे अपार
रोम-रोम खिल उठा
सुन श्याम तेरी
वंशी की धुन से........।

©SAKSHI JAIN
  #वंशी
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