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आवारा अभिषेक

हाँ मैं आवारा हुँ।

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आवारा अभिषेक

चलो इश्क़ में मेरे कुछ तो सिलसिला जारी है
खत लिखे या वो फाड़े दर्द का सिला जारी है चलो इश्क़ में मेरे कुछ तो सिलसिला जारी है
खत लिखे या वो फाड़े दर्द का सिला जारी है

चलो इश्क़ में मेरे कुछ तो सिलसिला जारी है खत लिखे या वो फाड़े दर्द का सिला जारी है

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आवारा अभिषेक

अपनी आज़ादी को हम
हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन
सर झुका सकते नहीं....!!

जय हिंद 🌹🇮🇳 
वन्दे मातरम्🇮🇳🇮🇳 जय हिंद

जय हिंद

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आवारा अभिषेक

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,

चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,

चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों,

जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ। रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,

चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,

चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों,

जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये, चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ, चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों, जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ।

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आवारा अभिषेक

संध्या ने फिर की है आसमाँ को
धरती से मिलाने की साजिश
रोज यूँ ही शाम ढले वर्ना होती नही बारिश

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आवारा अभिषेक

लानत है एक और गुड़िया पुर्जा पुर्जा खोली गई
समेटने न आया कोई फिर मजहबों में तोली गई

#लानत है एक और गुड़िया पुर्जा पुर्जा खोली गई
समेटने न आया कोई फिर मजहबों में तोली गई

#JusticeForTwinkleSharma 
#TwinkleSharma लानत है एक और गुड़िया पुर्जा पुर्जा खोली गई
समेटने न आया कोई फिर मजहबों में तोली गई

#JusticeForTwinkleSharma 
#TwinkleSharma

लानत है एक और गुड़िया पुर्जा पुर्जा खोली गई समेटने न आया कोई फिर मजहबों में तोली गई #JusticeForTwinkleSharma #twinklesharma

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आवारा अभिषेक

कुछ दिखावटी कुछ असलियत है जिंदगी
मर रही है इंसानियत और बढ़ रही है गंदगी कुछ दिखावटी कुछ असलियत है जिंदगी
मर रही है इंसानियत और बढ़ रही है गंदगी

कुछ दिखावटी कुछ असलियत है जिंदगी मर रही है इंसानियत और बढ़ रही है गंदगी

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आवारा अभिषेक

वो जो लकीरों में लिखे नहीं होते,
उन्हीं की जुस्तज़ू को इश्क़ कहते हैं

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आवारा अभिषेक

गुँचे मुरझाते हैं और शाख़ से गिर जाते हैं

हर कली फूल ही बन जाए ज़रूरी तो नहीं

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आवारा अभिषेक

कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास मोहब्बत है,

हम आह तो करते हैं, फरियाद नहीं करते

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आवारा अभिषेक

नासमझ ही रहते तो अच्छा था, 
उलझने बढ़ गई हैं जब से समझदार हुए हैं

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