ज़िन्दगी की कलम की स्याही खत्म होने को आई हैं,
पर ये मसले खत्म नही हो रहें बेशत हर जगह छाई हैं।
कुछ यादों के साथ बची थोड़ी सी मेरी कलाम की स्याही हैं,
कभी खुद से परेशान मेरी जिंदगी और बची थोड़ी सि कलाम में स्याही हैं।
कभी दुनिया का सताया हूं, कभी मुझे तेरी याद आई हैं,
अब क्या और कहूँ बची थोड़ी मेरी कलम में स्याही हैं।
Aakash Saini
Aakash Saini
आसमा से टूटा एक तारा काफी हैं
अभी तो टूटना पूरा जहा बाकी हैं
दिल ही टूटा हैं,
टूटना अभी भी ज़िन्दगी में थोड़ा और बाकी हैं
अभी तो टूटना पूरी कायनात का बाकी हैं
तुम क्यों डरते हो
अभी तो टूटना हर एक अरमान बाकी है
अभी तो टूटना इस असफलता का मुँह बाकी है