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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

तस्वीरें बदलने से किस्मत नहीं बदलती है। हां यह ज़रूर है की हर एक तस्वीर कुछ न कुछ कहती ज़रूर है। केवल नज़रिए की बात है।✍️🙏🙏🙇

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है,

वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं।

जब ठोकर मारी थी हमें ज़माने भर ने,तब सँभालने को कोई नहीं था,

उस ठोकर से बाबा ने हमें उठाया, और हमें गले से लगाया  उस दौर में सिवा कोई और नही,

दो वक्त की रोटी के भीं फाके पड़े, रहने को भी परिवार के लिए छत थीं नहीं ,

 मेरे बाबा ने रहने को छत दिया और छप्पन भोग खिलाया वरना यहां तो भूखे को भोजन नहीं।

जब अपमानित होते थे ज़माने में, तो सम्मान तूने दिलाया,
तेरे सिवा कोई अब ठिकाना नहीं,

बाबा श्याम ने उठाकर हमें, अपने माथे का तिलक बनाया है।
आज भी जब हारते हैं हम, तो बाबा तुझी को कह आते हैं,
कि तू जाने, तेरा काम जाने, बाबा मैं तो तेरे दर पर आई हूँ।
जरा और ध्यान रखना हमारा, दुश्मन और बनाकर आई हूँ,
फूलों का नहीं, काँटों का ताज पहनाया ज़माने ने मेरे बाबा,
चार शूल और ताज में ज्यादासज़ा कर और लाई हूं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #sad_quotes जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है,

वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं।

जब ठोकर मारी थी हमें ज़माने भर ने,तब सँभालने को कोई नहीं था,

उस ठोकर से बाबा ने हमें उठाया, और हमें गले से लगाया  उस दौर में सिवा कोई और नही,

#sad_quotes जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है, वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं। जब ठोकर मारी थी हमें ज़माने भर ने,तब सँभालने को कोई नहीं था, उस ठोकर से बाबा ने हमें उठाया, और हमें गले से लगाया उस दौर में सिवा कोई और नही, #भक्ति

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White 
**शिक्षा**  
शिक्षा हमें तर्क सिखाती है,  
कुतर्क करना नहीं।  
शिक्षा सबको साथ चलना सिखाती है,  
अकेला छोड़ना नहीं।

कहां से कहां आ गए हम,  
किताबें पढ़कर, डिग्रियाँ लेकर।  
खुद के अधिकार पाना तो सीख लिया,  
पर दूसरों के हक का हनन,  
ये शिक्षा सिखाती नहीं।

आज पढ़-लिख मर्यादा की बात सब करते हैं,  
पर निभाता कोई नहीं।  
शिक्षा का अर्थ ही बदल दिया,  
कम पढ़े को गंवार कहकर,  
कहते हैं वो काबिल नहीं।

आज की शिक्षा ने रीति तोड़ी,  
प्रीति तोड़ी,  
अब कोई लिहाज़ नहीं रखता,  
सब कुछ छोड़ दिया है।

---

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  #teachers_day 

**शिक्षा**  
शिक्षा हमें तर्क सिखाती है,  
कुतर्क करना नहीं।  
शिक्षा सबको साथ चलना सिखाती है,  
अकेला छोड़ना नहीं।

#teachers_day **शिक्षा** शिक्षा हमें तर्क सिखाती है, कुतर्क करना नहीं। शिक्षा सबको साथ चलना सिखाती है, अकेला छोड़ना नहीं। #कविता

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
   कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आत

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आत #विचार #love_shayari

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White राखी भाई बहनों का ही त्यौहार नहीं यह उनके अटूट विश्वास का त्यौहार है। एक विश्वास है की जब हमें एक दूसरे की जरूरत होगी हम साथ खड़े होंगे। यह त्यौहार यह भीं याद दिलाता है की हम दोनों ही एक मां की कोख में रहे हैं भले हमारा जन्म साथ मे न हुआ हो पर उस मां की कोख की लाज रखनी है। हम भले ही उम्र में बड़े छोटे हों सकते है। पर रहें उसी मां की कोख में हैं। जो जब तक सांस है तब तक याद दिलाता रहेगा की हम एक ही पेड़ के फल है जो भले अलग हो सकते है। पर खुन और मां के कर्ज़ से अलग नहीं हों सकते है।
happy raksha Bandhan 🙏🙏

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  #raksha_bandhan_2024  मोटिवेशनल स्टेटस हिंदीरक्षाबंधन: बदलते समय के साथ बदलते रिश्ते

आजकल रक्षाबंधन के त्यौहार पर हर प्रकार की राखियाँ मिलती हैं, और लोग महंगी से महंगी राखी खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं। लेकिन एक समय था जब एक रुपये की राखी खरीदना भी मुश्किल होता था। उस समय की बड़ी राखी, जिससे भाई का पूरा हाथ भर जाता था, उसकी अपनी एक अलग ही पहचान होती थी। अगर बहनों की संख्या ज्यादा होती, तो छोटे भाई की पूरी कोहनी तक राखियों से भर जाती थी। वे भाई उन राखियों को कई दिनों तक अपने हाथ पर बांधे रखते

#raksha_bandhan_2024 मोटिवेशनल स्टेटस हिंदीरक्षाबंधन: बदलते समय के साथ बदलते रिश्ते आजकल रक्षाबंधन के त्यौहार पर हर प्रकार की राखियाँ मिलती हैं, और लोग महंगी से महंगी राखी खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं। लेकिन एक समय था जब एक रुपये की राखी खरीदना भी मुश्किल होता था। उस समय की बड़ी राखी, जिससे भाई का पूरा हाथ भर जाता था, उसकी अपनी एक अलग ही पहचान होती थी। अगर बहनों की संख्या ज्यादा होती, तो छोटे भाई की पूरी कोहनी तक राखियों से भर जाती थी। वे भाई उन राखियों को कई दिनों तक अपने हाथ पर बांधे रखते

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। 
आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं।
माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  बार कोई त्यौहार आता है,
पर तू नज़र नहीं आता है।
इस बार भी राखी का त्यौहार आया है,
पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है।

पूजा की थाली सजाती हूँ हर बार,
भिन्न-भिन्न राखियां और पसंदीदा मिठाई करती हूँ तैयार।
मन में एक दर्द और आँखों में आँसू की धार,

बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ हर बार, भिन्न-भिन्न राखियां और पसंदीदा मिठाई करती हूँ तैयार। मन में एक दर्द और आँखों में आँसू की धार, #कविता

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

 'दर्द भरी शायरी'

'दर्द भरी शायरी'

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White शांति, सद्भावना, एकता और प्रेम से रहो मेरे यार..
बहुत बहुत बधाई हो आपको ये आज़ादी का त्यौहार..
जय हिंद 🙏🙏 जय भारत 🙏🙏 जय जवान जय किसान 🙏🙏
वंदे मातरम् 🙏🙏🇮🇳🇮🇳

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  #happy_independence_day  प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स Ankita Tantuway  Bhardwaj Only Budana  Praveen Jain "पल्लव"  vineetapanchal  बादल सिंह 'कलमगार'  munish writer

#happy_independence_day प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स Ankita Tantuway Bhardwaj Only Budana Praveen Jain "पल्लव" vineetapanchal बादल सिंह 'कलमगार' munish writer

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White कितनी ही मुश्किलाते आ जाएं जीवन में पर सबको धैर्य रखना पड़ता है।
क्योंकि हर अंधेरे के बाद उजाला और रात के बाद हर सुबह सूर्य का उदय होता है।
हां घने बादल मे सूर्य नहीं दिखता है। पर उनके छिपने से भीं दुनियां का भला होता है।
बादल फटे बिजली कड़क के चमके तभी तो धरती को सींच हरा बनाना पड़ता हैं।
जीवन में कितने ही सुख दुःख आए कोई आए जाएं दर्द को छिपा मुस्कुराना पड़ता हैं।
इसी का नाम जिंदगी हैं। उसे हर हाल में जब तक सांसें है तब तक निभाना पड़ता हैं।
🙏🙏🙏🙏🙏🤳🤳

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  इसी का नाम जिंदगी है।#sad_shayari  'दर्द भरी शायरी' Satyajeet Roy  बादल सिंह 'कलमगार'  Praveen Jain "पल्लव"  Mukesh Poonia  vineetapanchal  Rakesh Srivastava

इसी का नाम जिंदगी है।#sad_shayari 'दर्द भरी शायरी' Satyajeet Roy बादल सिंह 'कलमगार' Praveen Jain "पल्लव" Mukesh Poonia vineetapanchal Rakesh Srivastava

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

White जो भीं हमें भगवान ने दिया है उसमे संतुष्ट रहिए। क्योंकि जो हमें नही पता है। वो भगवान को पता होता है कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है। जय श्री कृष्णा राधे राधे 🙏🙏#सब कर्मों की माया है। जिससे कोई नहीं बच पाया है।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
  #love_shayari
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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

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