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pushpa

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pushpa

गलति जीवन का नाम है 
रिश्ता पूरी किताब है।
किताब मे सब भरे परे हैं 
पढ लेना जो चाहत है।
लागादे अपना ध्यान 
जो तुम्हे अपनाना है।
पद्ले अपनी किताब जो तुम्हे साथ लेकर जाना है।
गलति जीवन का नाम है 
रिश्ता पूरी किताब है।

©pushpa #जीवन कि किताब

#जीवन कि किताब

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pushpa

ना घर तेरा है ना  मेरा है
ये तो दुनिया का मेला है ।
इस मेले मे क्या करना है 
हमे सोच समझकर चलना है ।
जब गलति कर पचताएंगे 
तब हम्ही सहन कर पायेंगे ।
इस दुनिया के मेले में अपनी बखान कर्जना है।
परेशानियों कि भीड मे हमें सोच समझकर चलना है।
ना घार तेरा है ना मेरा है 
ये तो दुनिया का मेला है।

©pushpa
  #दुनिया का मेला

#दुनिया का मेला

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pushpa

क्या था ज़माना पहले का 
कुछ अपना जैसा लगता था । 
कुछ सास का ताना कुछ ससुर का बाहाना 
अपना जैसा लगता था ।
क्या था ज़मना पहले का
कुछ अपना जैसा लगता था 
ना दिखता उनकी कमाई 
ना लगता उनका व्यव्हार 
उन्के हर सुख दूख मे 
अपना अधिकार लगता था
सास का गाना ससुर का सपना 
अपना जैसा लगता था ।
अपना दुखडा अब कहुँ किस्से 
मानको समझाना पड़ता था ।
क्या था ज़माना पहले का कुछ अपना जैसा लगता था ।
 #वो जमाना

वो जमाना #कविता

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pushpa

क्या था ज़माना पहले का 
कुछ अपना जैसा लगता था । 
कुछ सास का ताना कुछ ससुर का बाहाना 
अपना जैसा लगता था ।
क्या था ज़मना पहले का
कुछ अपना जैसा लगता था 
ना दिखता उनकी कमाई 
ना लगता उनका व्यव्हार 
उन्के हर सुख दूख मे 
अपना अधिकार लगता था
सास का गाना ससुर का सपना 
अपना जैसा लगता था ।
अपना दुखडा अब कहुँ किस्से 
मानको समझाना पड़ता था ।
क्या था ज़माना पहले का कुछ अपना जैसा लगता था । #वो जमाना

वो जमाना #कविता

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pushpa

तुम  रूठ गए हम छूट गए 
एसा भी कहना बाकि है ।
तेरी खुशी में बहकें 
अपनी खुशी भी भूल गए 
एसा भी कहना बाकी है।
रिश्ते बन्ने में वक़्त लगा 
इसका छूटना अभी  बाकि है ।
मेरे दिल को तो ना तोडो 
तेरा दिन भी अभी बाकी हैं 
बातों ही बातों मे ना उल्झ ।
जिवन सुलझाना अभी बाकी हैं।
जब सासों को थम जाना है ।
फिर क्या खोना क्या पाना है। 
पर मनके जिद्दी बचों को 
अब क्या समझना बाकी है।
 अभी बहुत कुछ देखना बाकी है।
और बहुत कुछ सुनना बाकी है। 
जब जिवन ही चले जाना है तब और क्या कहना बाकी है।
तुम रूठ गए हम छूट गये एसा भी कहना बाकी है मरि एक कविता बचों के नाम

मरि एक कविता बचों के नाम


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