अपनी किश्मत खुद बनाने का हुनर
हमें मिली है विरासत में ,
किसे कितना हक है देना
ये हमने देखा है वसीहत में।
एक जुगनू क्या देगा रौशनी
चाँद को चाँदनी रात में,
हमने देखा है नाले को
उफ़नते सिर्फ बरसात में। #raviravinojoto
तुम पास भी नही हो,
दिल मचल रहा है।
उलझी हुई ओ जुल्फें,
फिर याद आरहा है।
सुखी पड़ी ये धरा,
क्या चाहता बादल से।
ये तुम भी समझ रही हो,
मैं भी समझ रहा हूँ। #raviravinojoto
Ravi Ravi
कलियों से रूठ कर के जिस दिन से भौंरा गया था,
बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था।
हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो,
थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। #ravi ravi