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vishalmaurya4538
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Ks Vishal

सिर्फ पढ़ने तक ही सीमित रहिये मोहतरमा हमारे बारे जान जाओगी तो तड़प जाओगी।

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Ks Vishal

फिर कब ऐसी नादानी होह फिर से वही कहानी हो

जाने वो कब अब्र बने आग पिघल कर पानी हो

मजनू जब जब पागल हो लैला भी दीवानी हो

फिर तुम ख्वाबों में आओ मिलने में आसानी हो

दुनिया की न फिक्र करें चादर हमने तानी हो

सूरत अनजानी हो पर आँखें कुछ पहचानी हो

लुत्फ़ सफर का आ जाये दरिया में और रवानी हो

उसको मैं न लिख पाऊँ वो बस याद ज़बानी हो

आग लगा ही देते हैं जिनको आग लगानी हो

लहरों को क्या देखेगा जिसको कश्ती ले जानी हो

सागर क्या और नदिया क्या  जिसको राख बहानी हो

अपनी नींदें खुद लाना  जो तुमको रात बितानी हो

मेरी तो बस इक ही मर्ज़ी थोड़ी सी मनमानी हो

नींद बताकर आती है  नींद मुझे जो आनी हो

ऐसा कुछ मत करना अब  जिससे मुझको हैरानी हो

मज़ा तो तब है रिश्ते का तुमने भी जब ठानी हो

©Ks Vishal #sadak 365
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Ks Vishal

क्या मजबूरी है कि टूटा हुआ ख़्वाब रखना पड़ता है
यही वजह हैं कि आँखों मे सैलाब रखना पड़ता है

आदमी जिये जा रहा है सालों के हिसाब से ज़िन्दगी
मुझे तो पहर दर पहर का हिसाब रखना पड़ता है

इस दुनिया को इजाज़त है कई सवाल छोड़ देने की
एक मैं हूँ जिसे हर सवाल का जवाब रखना पड़ता है

मैंने तो रखा हुआ है अपना एक ही चेहरा सबके लिए
और दुनिया को हर एक के लिए नकाब रखना पड़ता है

©Ks Vishal #silhouette 364
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Ks Vishal

लिखूँ मैं शब्द कितने ही पर उसका सार हैं श्री राम
कहानी  है  भले  मेरी  मगर  किरदार  हैं  श्री  राम

वो  मेरे  दुःख  में रोते  हैं  वो  मेरे  सुख में हँसते हैं
मैं उनको अपना कहता हूँ मेरा परिवार हैं श्री राम

कहीं पर जल, कहीं अग्नि, कहीं पृथ्वी कहीं आकाश
मैं  जिसमें  देखना  चाहूँ  वही  आकार हैं श्री राम

अगर दुनिया ये नदिया है अगर जीवन ये नैय्या है 
अगर नैय्या भँवर में है तो फिर पतवार हैं श्री राम

मेरी   दृष्टि   उन्हें   देखे  मेरी  जिव्हा  उन्हें  गाये
मैं अपने पाँव पर हूँ किंतु मेरा आधार हैं श्री राम

मेरा हर वाक्य उनका है मेरी हर बात है उनकी
मेरी बाहर की दुनिया से मेरा व्यवहार हैं श्री राम

©Ks Vishal #ramsita
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Ks Vishal

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे
तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था एक खूबसूरत सा सफर मिला था
मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

बसाई तुमने थी एक नई बस्ती मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती
तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं
मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे
मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था
मगर मेरा तो रब उसी दिन से मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया
वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता
मेरे सपनों का शहर किसी ने हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

©Ks Vishal #chaandsifarish 350
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Ks Vishal

रात की पलकें देख रहीं हैं जुगनू आँखें खोल रहें हैं
लेकिन है उजियारे जैसा भोर के पंछी बोल रहे हैं
सोई है जब सारी दुनिया फिर आँखों में जागा कौन 
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन 

पनघट पर है खाली गगरी कौन इसे भर पायेगा
लगता है सावन भी अबकी तृष्णा से मर जायेगा
अम्बर धरती दोनों व्याकुल पर दोनों में ज्यादा कौन
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन

दुनिया कहती एक है माला लेकिन कैसे माना जाए
मोती जाए धागे में या मोती में से धागा जाए
तय करना है कौन है मोती तय करना है धागा कौन
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन

©Ks Vishal #mountain radha
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Ks Vishal

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर
पहला सपना नाम तुम्हारा जुड़ा हो मुझसे कहीं किसी कागज़ पर मैं तेरा कहलाऊँ   
अब ये केवल नाम मात्र का स्वप्न है मेरा झूठ से आखिर कब तक ये ह्रदय बहलाऊँ
बंद लिफ़ाफ़े में मैं तुमको भेजूँगा कागज़ पर उस ह्रदय की मिट्टी लिखकर
 
सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर
दूजा सपना एक कमरे की छत के नीचेतू मेरा जीवन बनकर सुख दुःख बाँटे  
लेकिन अब क्या लाभ तुम्हारा इस सपने से तुमने तो महलों में हैं अब वर्षों काटे  
कष्ट तुम्हें अपने वैभव में होगा भी क्या  भेजूँगा तुमको मैं इतनी विनती लिखकर
सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर

और एक सपना कि तुम मुझको अपना बोलो तुमने नहीं कहा सबके आगे इस जीवन में
और अब इसके बारे में क्या बात कहूँ आशा मुझको नहीं अभागे इस जीवन में
जल जाने दी मैंने ऐसी आशा जिसमें भाग्य की वो ही अग्नि वाली भट्टी लिखकर  

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर     

सारे सपने जब तुम मुझको वापस भेजो अपने ह्रदय की मिट्टी तुम भी लिख देना 
मेरा ह्रदय रखने हेतु कुछ भी लिखना तुम एक छोटी सी चिट्ठी तुम भी लिख देना 
अंत में इतना लिखना प्रेम मिले सबको मिले भले ही बदले में सृष्टि लिखकर  

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर

©Ks Vishal #boat #354
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Ks Vishal

तुम अब भी रहती मेरे दिल के छोटे से घर में

तुम मकान बदल सकती हो अपने
तुम अपने ठिकाने बदल सकती हो
मगर क्या अपना दिल बदल सकती हो तुम
क्या अपने गुज़रे ज़माने बदल सकती हो
चलो माना ख़ुद को बदल भी लिया होगा
मगर क्या मेरी जगह बदल सकती हो अपने सफर में
तुम अब भी रहती मेरे दिल के छोटे से घर में

तुम मगन हो सकती हो अपने नए सुख में
मगर क्या मेरा काँधा याद आता नहीं तुम्हे दुख में
तुम हँस सकती हो दुनिया के आगे अब
बुन सकती हो नए संसार के धागे अब
चलो माना अब पुरानी बातें भूल सकती हो मगर
क्या मेरा साथ भूल जाती हो जब होती हो अधर में
याद रखना, तुम अब भी रहती मेरे दिल के छोटे से घर में

कभी कोई शक हो अगर तो आज़माना मुझे
कभी कहीं उलझ जाओ तो बताना मुझे
मेरे पास कोई जादुई चिराग नहीं मगर फिर भी
तुम्हारे सीने में मेरे लिए कोई आग नहीं मगर फिर भी
चलो ये भी माना कि आदत नहीं तुमको मेरी अब
मगर कभी शक नहीं करना मेरे ऊपर के तुम अपने असर में
हाँ, हाँ, तुम अब भी रहती मेरे दिल के छोटे से घर में

©Ks Vishal #GarajteBaadal
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Ks Vishal

हम तुम मिलेंगे किसी दूसरे संसार में 

इस संसार में तो यही काम होना था अपने प्रेम का यही परिणाम होना था
ये जीवन हमको कब तक असहाय करेगा हमारा ईश्वर हमसे कभी तो न्याय करेगा
छोड़ेंगे नहीं वो हम दोनों को मझधार में
हम तुम मिलेंगे किसी दूसरे संसार में

उनके वन की कुटिया में मिल सकते हैं हम दोनों राम और सिया में मिल सकते हैं
तुम उन दोनों के प्रेम का मन बन जाना माँ सीता के हाथों का कंगन बन जाना
मैं फिर तुममें उलझने वाला बन जाऊँगा मैं प्रभु के रुद्राक्ष की माला बन जाऊँगा
प्रेम भी मिलेगा हम दोनों को उद्धार में
हम तुम मिलेंगे किसी दूसरे संसार में

जमुना में डोलती नैय्या में मिल जाएं हम संभव है राधा और कन्हैया में मिल जाएं हम
उन दोनों के प्रेम की रग बन जाना तुम राधा की अंगूठी का नग बन जाना
मैं उस पल समय की धुरी बन जाऊँगा मैं कन्हैया के हाथों की बाँसुरी बन जाऊँगा
राधा जब थामेंगी बाँसुरी को प्यार में
हम तुम मिलेंगे किसी दूसरे संसार में

मंथन में हमने जो चाहा वो पाया ही नहीं भाग में हमारे सुख का अमृत आया ही नहीं 
अभी तो जीवन स्मृतियों में भटका हुआ है विष बन कर कंठ में अटका हुआ है
मगर विश्वास है मुझे एक दिन शंखनाद होगा हम पर शिव और पार्वती का आशीर्वाद होगा
हमें भी मिलेगा सुख एक दिन उपहार में
हम तुम मिलेंगे किसी दूसरे संसार में

©Ks Vishal #Journey parrell wold
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Ks Vishal

मैं किस रूप में पाऊँ तुमको

मैं तुम्हें तुम्हारे वास्तविक रूप में नहीं पा सकता
हाँ मगर जिसने तुम्हें पाया है वो भी नहीं बता सकता कि तुम्हारे रूप में इस धरा के अलग अलग गुण हैं
और वो सारे रूप तुम्हें वास्तव में दिखाने में निपुण हैं तो मैं किस रूप में पाऊँ तुमको

मैं तुम्हें पवन की तरह छू लूँ क्या
तुम्हारे ख़्याल का एक झूला बनाकर उसपर झुलूँ क्या
कभी कभी जब तुम गुज़रती हो मेरे चेहरे को चूम कर मुझे लगता है तुम हो और मैं देखता हूँ पीछे घूम कर
तुम तो नहीं मिलती मुझे मगर जाने क्यूँ महक जाता हूँ मैं उस पवन के छूते ही एक पंछी सा चहक जाता हूँ
इसी तरह से उड़ती रहना तुम मेरे पास मेरा मन बनकर तुम यूँ ही मिलती रहना मुझे पवन बनकर

तुम्हें नदी की तरह भी देख सकता हूँ मैं
तुम्हें हृदय में गंगा के पानी की तरह रखता हूँ मैं  तुमने सालों तक मुझे अपने प्रेम से भिगाया है
ये शब्दों का हुनर तुम्हारे प्रेम ने ही मुझे सिखाया है एक नदी की तरह तुममें मैंने अपनी छवि पाई है
मैंने हर रात तेरी बहती यादों के किनारे बिताई है तो यूँ मेरे साथ रहना मेरी यादों की कड़ी बनकर
इसी तरह तुम मुझसे मिलती रहना नदी बनकर

मगर जब मैंने जीवन को देखा एक हिसाब की तरह इन सब के बाद तुम नज़र आईं एक किताब की तरह
जीवन भर साथ देती हैं किताबें इसलिए अच्छी होतीं हैं जागती भी हैं मेरे साथ और मेरे सीने पर सर रख कर सोतीं हैं
मैं देर तक एक पन्ने पर रह सकता हूँ आगे भी बढ़ सकता हूँ मैं उसको पन्ने पलट पलट कर कई बार पढ़ सकता हूँ
तो जब तक तुम कुछ नया न लिखो ख़ुद में सिमट कर 
मैं तुम्हें यूँ ही मिलता रहूँगा पन्ने पलट पलट कर....

©Ks Vishal #hands #350
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Ks Vishal

मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा

है मेरा कागज़ ये कोरा और स्याही है अधूरी
नाम तेरा लिखूं अगर मैं ये कहानी होगी पूरी
बेशक तुम इन पंक्तियों के बाहर परायी ही रहो
किन्तु इस कागज़ पे मेरे मैं तुम्हे अपना कहूँगा 
मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा

स्याही ही झुमके लिखेगी स्याही ही बिंदी लिखेगी
सोचो अपनी प्रीत गाथा प्राण प्यारी हिंदी लिखेगी
स्याही जब खनकेगी तेरी स्याही जब चमकेगी तेरी
मैं प्रतीक्षा में तुम्हारी तुमको कागज़ पर दिखूंगा
मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा

देखना चूड़ी को अपनी देखना कंगन को अपने
पढ़ना जब जब छंद मेरे ढूंढ लेना मन को अपने
हाथ मे जब लेके अपने गीत मेरे तुम पढ़ोगी
उस गीत की उन पंक्तियों से मैं तुम्हे तब तब सुनूंगा
मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा

जब मैं अंतिम काव्य लिखूं तब भी तुम्हारा प्यार लिखूं
है यही उस क्षण से आशा मैं तुम्हारा श्रृंगार लिखूं
जन्म फिर से लूं अगर मैं फिर से मैं कागज़ कलम लूं
और अपनी प्रेरणा में उस बार भी तुमको चुनूँगा
मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा

©Ks Vishal #phool 349
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