#Love#reading एक और कहानी लिखना है, तुम पे मर के फिर जीना है,
तुम आँखों की बरसात बनो, इन लबों पे ठहरी मुस्कान बनो,
शाम तुम्हारी चाहत हो, सुबह सुकून -ए-राहत हो
Shankar kumar
क़ातिल को मेरे ख़याल ए रहम आया है वो दफ़नाने मुझे मेरे शहर लाया है
है ख़बर उसे कि रोशनी है परहेज़ मुझे तोहफ़े में मेरे लिए एक दोपहर लाया है
मांगा था उस्से इस ज़िन्दगी का इलाज मैंने वो मेरे लिए सबसे कड़वा ज़हर लाया है
सुना है होते है फ़ैसले रोज़ ए कयामत पे देखिए वो आज कैसा कहर लाया है
#Pain
Shankar kumar
#Isolated समंदर भी कहाँ यूंही खारा हुआ होगा कोई बात रही होगी खुदा रोया होगा
सुना है कल बह गए कुछ गाँव सुनामी में शिद्दत से उसने अपना दामन धोया होगा
कोई वजह रही होगी जो हुए रेगिस्तान उसने तो वहाँ भी गुलिस्ताँ ही बोया होगा
कहीं बेशकल कहीं लाखों चेहरे हैं उसके दफत्तन उसने अपनी पहचान को खोया होगा
#poem