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deepakbisht3596
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Deepak Bisht

मैं कल को ढूंढता रहा दिन भर और शाम होते-होते मेरा आज निकल गया

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Deepak Bisht

दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ, और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा।

©Deepak Bisht
  #againstthetide
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Deepak Bisht

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Deepak Bisht

आँखों में पानी लिए मुझे घूरता रहा, 
आइने में खाड़ा शख्स परेशान बहुत था।

©Deepak Bisht
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Deepak Bisht

"THE GREATEST FEAR DOGS KNOW IS THE FEAR THAT YOU WILL NOT COME BACK WHEN YOU GO OUT THE DOOR WITHOUT THEM."

©Deepak Bisht
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Deepak Bisht


वो शख्स मुझे अक्सर याद आता है,
जिसे भूलने की कोशिश में मैंने सदियाँ गुजार दी।

©Deepak Bisht
  #tumaurmain
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Deepak Bisht

घर में दो बच्चो को छोड़ कर वो कहा चलि जा रही है?
इस आपदा के समय में!
जब सब अपने घरों में है, तो ये सड़क पर क्या कर रही है?
वो भी नंगे पैर इस धूप में! 
शायद कूछ ढूंढ रही है! पर क्या ढूंढ रही है? सायद उन लोगो को जो उसके हक़ की बाते करते थे! वो नेता, समाज सेवी, पोलिस कर्मि और तमाम वो लोग जो उसके लिए सोचते थे। जिनको चुना था उसने।
चुना था अपने ओर आपने बच्चों की सुरक्षा के लिए।
तो फिर आज क्यों नही देखता कोई उसके बच्चों की ओर!
आज क्यों उसके बच्चे भूखे है?
भूखे है! पर भूखे क्यों है ? कल कुछ युवा कैमरा लेके गए तो थे उसके घर रासन देने।
तब तो उसने रासन लेने से मना कर दिया, फिर आज ऐसा क्या हुवा जो उसे घर से बाहर आना पड़ा ? 
सायद बच्चों की खातिर! है यही वजे रही होगी ।

©Deepak Bisht माँ और ये लोकडौन

माँ और ये लोकडौन

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Deepak Bisht

College ke kisse likhu,
Ya school ki koi yaad.
Ya likhdu me phir koi,
Pyar wali baat.

Papa ki daat likhu,
Ya phir maa ka pyar.
Ya likhdu me phir apne,
Vo Bachpan wale yaar.

Thandi ki duphar likhu
Ya garmiyo ki shaam.
Ya likhdu me phir apne,
Dil ke raaj tamam.

©Deepak Bisht

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Deepak Bisht

परेशान हो चाहे जितनी, 
माँ फिरभी मुस्काती है।
खुशियों की खातिर वो मेरी,
 रब से भी लड़जाति है।
छाये दुःख के बादल जो, 
धुप सी वो खिल जाती है।
दुख को सारे भूलके अपने,
 माँ अक्सर मुस्काती है।

©Deepak Bisht #shore
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Deepak Bisht

बचपन की यादे
 वो सुबह नहीं वो रात नही।
अब वो पहले सि बात नही।
वो बच्पन के सब यार नही।
वो पहला पहला प्यार नही।
वो क्लास नही वो खेल नही।
वो बचपन वाली रेल नही।
वो टीचर्स वाली मार नही।
वो मम्मी की पुचकार नही।
वो स्कूल के जैसी जेल नही।
अब कोई वैसा खेल नही।

©Deepak Bisht #flowers
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Deepak Bisht

तुमको पाया ही कब मेने।
जो खोने से मे डरता हु। 
अक्षर तन्हाई मे खुद से।
मे बात तेरी ही करता हु।
के बात करेगी जिसदिन तू । 
उसदिन मे क्या क्या बोलूंगा । 
कितना सब कहना है तुजसे ।
इतना सब कैसे बोलूंगा ।

©Deepak Bisht खोने का डर

खोने का डर

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