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erpushpendrapath9303
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Er Pushpendra Pathak

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Er Pushpendra Pathak

जाने क्यों आज मन उदास है, 
पता नहीं इसको किसकी आस है, 
आज जबकि सबकुछ अपने पास है, 
फिर भी आज मन उदास है ।

मन की गहराइयों में छिपी है न जाने कितनी ही स्मृतियाँ ,
आज उन्ही स्मृतियों में किसी की तलाश है, 
जाने क्यों आज मन उदास है ।

याद आ रहे हैं आज वो पल,
जब हम मिले थे, जब मिल के चेहरे खिले थे,हँसे थे, साथ रोये थे, 
कुछ शिकवे गिले थे,
ऐसा लगता है मानो कल की ही तो बात है, 
जाने क्यों आज मन उदास है ।

मन का क्या, कहीं भी पहुँच जाए,
कहीं डूबे,कहीं भी गोते खाए,
इसी मन को आज किसी की आस है, 
आस उनकी जो मेरे जीवन में खास हैं, 
परंतु इस वक़्त नहीं मेरे पास हैं, 
इसलिए आज मन उदास है ।

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Er Pushpendra Pathak

वह चला जा रहा रस्ते में मजबूर  सा होकर, 
मानो उसने जिंदगी में खाई है अनेक ठोकर, 
हालत उसकी बयाँ कर रही उसकी कहानी, 
थक गया है वो अब जिम्मेदारियों का बोझ ढो-ढोकर।

जिंदगी से बदहवास, अपनों से निराश,खुद से हताश,वह अकेला यूँ ही पथ पर चला जा रहा,
उफ वह क्यूँ जिंदगी से दूर और मौत के पास जा रहा,
कैसी विडम्बना है यह ,कैसी लाचारी है,
क्या जीवन की कठिनाइयाँ सचमुच इतनी भारी है ।

कोई उसे समझाये,सही रास्ते पे लाये,
ये जिंदगी है, इसको जीना पड़ता है, 
हँस के जहर पीना पड़ता है ।
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Er Pushpendra Pathak

#OpenPoetry न हिन्दू मिलेगा, न मुसलमान मिलेगा,
न साहब मिलेगा, न चौकगान मिलेगा,
न ऊँचा,  न नीचा, न गरीब, न धनवान मिलेगा,
ये मधुशाला है  जनाब, यहाँ केवल इन्सान मिलेगा । #OpenPoetry  Puja Sharma Rahul Kumar Sandeep Rakesh Kumar Himanshu

#OpenPoetry Puja Sharma Rahul Kumar Sandeep Rakesh Kumar Himanshu #कविता

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Er Pushpendra Pathak

परेशान बाट  जोह रहा हूँ  कब से उसके  आने की, 
इक प्यारे से मुखड़े और उसके अफसाने की,
उसके केशों को सहलाने और रूठने मनाने की,
बाट जोह रहा हूँ कब से .........

यूँ तो रोज होता है मिलन उससे,
हैं अनगिनत खुशनुमा किस्से,
पर आज बात कुछ और ही है जताने की,
बाट जोह रहा हूँ कब से ............

उसका आना,नज़रे चुराना,
बात-बात पे यूँ इठलाना, 
आँचल की ओट में छिपकर लजाने की,
बाट जोह रहा हूँ कब से .................. #romantic poems

#Romantic poems


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