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कवि आदित्य बजरंगी

madical student

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कवि आदित्य बजरंगी

में लफ्ज़ बहुत ही कम लिखता हूं 
जिंदगी के सारे गम लिखता हूं 
मेरी शायरी पढ़ने वाले भी तड़फ उठे
"आदित्य" में हंसकर ऐसे जख्म लिखता हूं 
तुम्हारी बददुआ क्या मुझे मारेगी 
में तोड़ी हुई हजार कसम लिखता हूं 
परवाह नही मुझे खुद के आंसुओ की 
जो भी लिखता हु बेरहम लिखता हूं

©कवि आदित्य बजरंगी  sad shayari
मुहब्बत तुमसे नफरत है

sad shayari मुहब्बत तुमसे नफरत है #SAD

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कवि आदित्य बजरंगी

एक तुझे नज़र अंदाज करने की हिम्मत नही की हम में 
"आदित्य" वरना ज़माने मैं मशहूर थे किस्से हमारी अना के

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

रिश्ते कहीं उसके लिए घुटन ना बन जाए 🤗 
आदित्य कुछ लोगों के साथ रहने से बेहतर है बिछड़ जाना 💔

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

जो इल्ज़ाम बाकी रह गया हो___
वो मेरे कफ़न पर लिख जाना___

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

खुद का बनाकर तमाशा खुद से ही दूर हुए हम,,,

खुद ही लिखा दर्द और खुद ही मशहूर हुए हम,,,,

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

जगना नसीब है, सोना मुहाल है।
जो मेरा हाल है, क्या तेरा हाल है।।
मैं इंतजार में हूं, के तू भी, कुछ कहे।
खुलते नहीं लब तेरे, क्या हाल चाल है।।
जो जल रही है, शम्मा है, तेरे नाम की।
मैं तुझसे रौशन हूं, क्या तुझे ख़याल है।।

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

आँखों में नजर आती है,,,, 
      होटो पर महक जाती है,,,,,
लाख छुपाओ मोहब्बत को,,,
       मगर अदाओ से झलक जाती है,,,
तुम याद नही करते,,,,,,
        हम तुम्हें भुल नहीं सकते,,,,,
तुम्हारा और हमारा रिस्ता इतना खूबसूरत हैं,,,
 तुम सोच नही सकते,,,,,, 
         हम बता नही सकते,,,,,

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

तेरा होना बहुत जरूरी है
मेरे होने से कुछ नही होता.....! 
तू वफादार है ये साबित कर,
ऐसे रोने से कुछ नही होता…!!

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

बेपर्दा देखने का हक भी था मुझे मगर,,,
मुझे वो हया के दुपट्टे में भी कमाल लगती थी...

©कवि आदित्य बजरंगी
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कवि आदित्य बजरंगी

बेखबर होने लगे हो आजकल
चैन से सोने लगे हो आजकल

जख्म कोई गहरा मिला है क्या
हर घड़ी रोने लगे हो आजकल

हो गई है फूलो से क्यों दुश्मनी
जो कांटे बोने लगे हो आजकल

आंँसुओं का नल खुला ही रहता है
किस की यादें धोने लगे हो आजकल

"आदित्य" आज कल कुछ उखड़े हुए रहते हो 
तुम भी दिल पे क्या क्या ढोने लगे हो आजकल

©कवि आदित्य बजरंगी
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