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vinodjoshi8191
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अल्फाज़

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अल्फाज़

White कितने कमाल और ख़ूबसूरत होते हैं वो पुरुष, 
जो खाने में नखरे नहीं करते 
जो परोस दो थाली में 
 चुपचाप ख़ुशी से खा लेते हैं, 
ख़ुद ही उठकर पानी ले लिया करते हैं 
और जूठे बर्तन उठाकर रख देते हैं,
 बस बहुत थोड़े से होते हैं कुछेक ऐसे पुरुष 
जो स्त्री के परिश्रम को समझ पाते हैं.

©अल्फाज़ #love_shayari
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अल्फाज़

White यूँ तो दिल मे समंदर भरा है इनके,
पर आँखों मे कभी नमी नहीं होती ll
पर जितना सोचते है हम, 
लड़को की जिंदगी उतनी आसान नही होती ll

घर में बड़े है या छोटे, 
कंधे हमेशा जिम्मेदारियों से भरे रहते हैं!!
अपने ही परिवार के खातिर, 
ये अपनों से दूर रहते हैं!!

घरवाले परेशान ना हो इनकी फिक्र में, 
इसलिए फोन में हमेशा मैं ठीक हूँ कहते हैं!!
लड़की की विदाई में तो जमाना रोता है, 
पर इनके घर छोड़ जाने का जिक्र खास नही होता !!
जितना सोचते हैं हम,
 लडकों की जिंदगी उतनी आसान नहीं होती !!

माँ के लाडले बेटे हैं बेशक, 
पर अपनी अलग पहचान बनानी पड़ती है!!
एक नौकरी के खातिर, सैकड़ो ठोकरें खानी पड़ती हैं,
कभी हर बात में ढेरों नखरे होते थे जिनके, 
बाहर रहकर हर फरमाइशें भुलानी पड़ती हैं!!

कुछ लड़को को जरूरतें जगाये रखती हैं
और कुछ को जिम्मेदारियां सोने नहीं देती!! 
जितना सोचते है हम, 
लड़कों की जिंदगी उतनी आसान नही होती!!

©अल्फाज़ लड़कों की जिंदगी आसान नही होती

लड़कों की जिंदगी आसान नही होती #Shayari

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अल्फाज़

मैंने चाहा कि उसे एक गुलाब पेश करूं, 
जब उसे देखा तो लगा कि
वो तो खुद एक गुलाब थी, 
फिर उसे गुलाब देने का क्या फायदा!! 
🌹 🌹🌹🌹🌹

❤Happy rose day❤

©अल्फाज़ #HAPPY_ROSE_DAY 
मैं उसे एक गुलाब दूँ 🌹

#HAPPY_ROSE_DAY मैं उसे एक गुलाब दूँ 🌹 #loveshayari

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अल्फाज़

तुम प्रेरणा हो मेरी,तुम साधना हो मेरी
तुम सामने हो मगर,तुम कल्पना हो मेरी

मैं शब्द हूं तुम सुर हो,
मैं दीप हूं तुम नूर हो
ना हो परी ना हूर हो,
तुम मेरा कोहिनूर हो,

मैं कहाँ का कवि था,
मैं तो कोई नहीं था
मैंने न कोई सच्ची लिखी थी कविता,
पर जबसे तुम जिंदगी में हो आयी,
पता नहीं कौन सा जादू हो लाई,

मेरे शब्द अपने-आप छंद में ढल जाते हैं,
और मेरे ख्याल कविता बन जाते हैं,
मेरे स्वप्न-नींद-रात-चाँद-हर्ष सब तुम हो,
मेरे कवि होने की वजह एक सिर्फ तुम ही हो

तुम प्रेरणा हो मेरी,तुम साधना हो मेरी
तुम सामने हो मगर,तुम कल्पना हो मेरी
तुम प्रेरणा हो मेरी, तुम प्रेरणा हो मेरी..!!

©अल्फाज़ तुम हो...

तुम हो... #Shayari

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अल्फाज़

Year end 2023 नए साल की आगमन में, नई उम्मीदों की चादर ओढ़ते हुए l
सपनों की ऊँचाइयों को छूने का एक और सफर शुरू करते हैं ll

पुराने साल में कुछ सपने जो अधुरे रह गये थे,
नए वर्ष में उन्हें पुरा करने की कोशिश करते हैl

यूं तो पुराने साल ने बहुत कुछ अनुभव दिये जिंदगी ने, 
कुछ सपने पूरे हुए पर कुछ रह गये!! 
कुछ नये रिश्ते बने, जो जिंदगी भर के लिए अपने हो गये !! 

चलो इस नये साल में, 
चुनौतियों का सामना करते हुए, 
अपनो को साथ चलते हुए, 
हौसलों को बनाये रखते हुए, 
 एक नये उम्मीद को जगाये रखते हुए,
एक
नए दिन, नई राहें, नए इरादे साथ लेकर,
मुसीबतों को हराकर, नए साल में रब से दुआएं
 लेकर नये साल का सफर शुरू करते हैं l

नव बर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं l

©विनोद जोशी #new year
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अल्फाज़

तुम्हारी सादगी


तुम्हारी झील सी गहरी आँखे और उन आँखो मे लगा कांजल, 
तुम्हारी रेशमी जुल्फ़ें और उन्हें  सवाँरती हुई तुम, खूबसूरत लगती हो।
तुम सादगी में कमाल लगती है।

तुम्हारे कानों के झुमके, और उन्हे पहनती हुई तुम,
तुम्हारे पाँयल की छन छन, और उसकी आवाज में खोया मेरा मन। 
लाजबाब लगती हो, तुम सादगी में कमाल लगती हो।। 

तुम्हारे माथे की बिंदिया, और  खंन खंन चूड़िया।
बेमिसाल लगती हो। 
तुम सादगी में कमाल लगती हो।।

तुम पहनती हुई साडी और और उसका पल्लू कमर मे खोसती हुई तुम , 

कतई जहर ढाती हो। 
तुम सादगी मे कमाल लगती हो।।

©विनोद जोशी तुम्हारी सादगी

तुम्हारी सादगी #Shayari

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अल्फाज़

मैं शून्य ही सही तुम्हारी जिंदगी मे,
पर मेरी हमेशा कोशिश रहेगी की, 
तुम्हारे पीछे लग कर तुम्हारी 
कीमत को हमेशा बड़ा सकूँ....!!

©विनोद जोशी मैं शून्य ही सही।

मैं शून्य ही सही। #Shayari

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अल्फाज़

ज़रा आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी, मेरे अभी बहुत ख्वाब बाकी है। 
 साथ निभाना बाकी है, संग मुस्कुराना बाकी हैl l

अभी तो सफर शुरू हुआ है, कदम मिलाना शुरू किया है l
डगमगाते रास्तो पर, तेरी राह तकना बाकी है l

संभल कर चलना बाकी है, तेरा हाथ थामना बाकी है l
ज़रा आहिस्ता चल ऐ जिन्दंगी, साथ निभाना बाकी है ll

मंज़िलें अभी दूर है, ख्वाहिशे भरपूर हैं I
रुक कर तेरे काँधे पर, सर टिकना बाकी है I

थोड़ा ठहर जाना बाकी है, तुझे चाहना बाकी है l
ज़रा आहिस्ता चल ऐ जिन्दंगी, साथ निभाना बाकी है ll

बहुत कुछ छिपा इस ज़िन्दगी में, सब बतलाना बाकी है I
थोड़ा मुस्कराना बाकी है , थोड़ा गुनगुना बाकी है I
ज़रा आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी, ज़ी भर के जीना बाकी है II

©विनोद जोशी ज़रा आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी, मेरे अभी बहुत ख्वाब बाकी है। 
 साथ निभाना बाकी है, संग मुस्कुराना बाकी हैl l

अभी तो सफर शुरू हुआ है, कदम मिलाना शुरू किया है l
डगमगाते रास्तो पर, तेरी राह तकना बाकी है l

संभल कर चलना बाकी है, तेरा हाथ थामना बाकी है l

ज़रा आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी, मेरे अभी बहुत ख्वाब बाकी है। साथ निभाना बाकी है, संग मुस्कुराना बाकी हैl l अभी तो सफर शुरू हुआ है, कदम मिलाना शुरू किया है l डगमगाते रास्तो पर, तेरी राह तकना बाकी है l संभल कर चलना बाकी है, तेरा हाथ थामना बाकी है l #News

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अल्फाज़

जब घर का बेटा लाद कर सामान दूसरे शहर को जाता है
तब फक्र  से सभी घर वालो का सिर ऊंचा हो जाता है ll

लेकिन वो गाड़ी में बैठते वक्त अपनी आँखें दौड़ता है
तो इतनी आखें नम देख कर उसका दिल भर आता है l

पिता कुछ बीमार रहते है, मालूम है उसे, 
पर वो अपनी जरूरतों के सामने खुद को बेवश पाता है l

माँ से नही होते घर के काम सारे, पर वो मां के कंधो मे हाथ रख कर उसे अपनी मजबूरियों का अहसास दिलाता हैं!! 

गाड़ी जैसे ही आगे बड़ती हैं, वो कसकर मूँद लेता है आँखे, 
और आँखों से एक आसूं आकर उसके होंठो पर दम तोड़ जाता है!! 

और कौन कहता है सिर्फ़ बेटियां ही होती है विदा, 
बेटों को भी न जाने कितने बार नम आँखों से विदा किया जाता है.

©विनोद जोशी
  मजबूरियाँ बेटों की

मजबूरियाँ बेटों की #Shayari

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अल्फाज़

जब घर का बेटा लाद कर सामान दूसरे शहर को जाता है
तब फर्क से सभी घर वालो का सिर ऊंचा हो जाता है ll

लेकिन वो गाड़ी में बैठते वक्त अपनी आँखें दौड़ता है
तो इतनी आखें नम देख कर उसका दिल भर आता है l

पिता कुछ बीमार रहते है, मालूम है उसे, 
पर वो अपनी जरूरतों के सामने खुद को बेवश पाता है l

माँ से नही होते घर के काम सारे, पर वो मां के कंधो मे हाथ रख कर उसे अपनी मजबूरियों का अहसास दिलाता हैं!! 

गाड़ी जैसे ही आगे बड़ती हैं, वो कसकर मूँद लेता है आँखे, 
और आँखों से एक आसूं आकर उसके होंठो पर दम तोड़ जाता है!! 

और कौन कहता है सिर्फ़ बेटियां ही होती है विदा, 
बेटों को भी न जाने कितने बार नम आँखों से विदा किया जाता है.

©विनोद जोशी मजबूरियाँ बेटों की

मजबूरियाँ बेटों की #Shayari

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