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Pramod Singh

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Pramod Singh

सुना के कोई गली धड़कती है आजकल,
मेरे बाद वो बहुत चहकती है आजकल ।

चमक रहा शहर उसका मग़र उस गली में,
वीरान हवेली बहुत खटकती है आजकल।

क्या   मिरे    साथ   कुछ   होने   वाला   है?
बायीं आंख बहुत फड़कती है आजकल

©Pramod Singh #sadak
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Pramod Singh

एक दिन हाथों  में झुर्रियां पड़ी होगी,
कलाई   से  लटकी   हुई  घड़ी  होगी।

न नज़र होगी न सुनेगा न स्वाद होगा,
हां बस रोग की दवा ज़रा  कड़ी होगी।

जब वो दम तोड़ेगी तब किसे बताएंगे,
उसके  बिना   मिठाई  भी  कड़ी  होगी।

याद  में  दिन  यूँ  ही  कटेंगे  बुढ़ापे के,
टहलेंगें  और  साथ  बस  छड़ी  होगी।

न  चैन  होगा  न  बेटे  का  पता  होगा,
कब वो लौटे जाने कौनसी घड़ी होगी।

बिना  किसी  साथ  के  दम  तोड़  देंगे,
जब बेटा लौटेगा तो लाश सड़ी होगी

©Pramod Singh #lightning
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Pramod Singh

मेरे  सब्र  का  मीठा  फल हो तुम,
मेरा  आने   वाला   कल  हो  तुम।

ज़िंदगी  के  तपते   सहराओं  का,
ठंडा   शीतल    जल    हो    तुम।

जहां  में  हिम्मत  नही  हारी  मैने,
मेरी हर  परेशानी का हल हो  तुम।

तुम्हारी मुस्कान से पता चलता है,
बच्चे  के  मन  सी  चंचल  हो  तुम।
@प्रमोद

©Pramod Singh
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Pramod Singh

अब  तो बस चाँद  ज़मीं पर लाना है,
इक ख़्वाब परी को मैने सच माना है।

मेरे   होंठ    थे   और    माथा  उसका,
मुहब्बत का ये अंदाज़ ज़रा पुराना है।

ज़माने   से  छुपा   कर   रखा  उसको,
अब  उसे  अपनी  माँ  से  मिलाना है।

उनकी   मेरी    ज़िंदगी   साथ   गुज़रे,
ज़िन्दगी का ये ख़्वाब बड़ा सुहाना है।

वो क़रीब कुछ इसलिए भी नही  बैठे,
नज़र  लगती है  बड़ा बुरा  ज़माना है

©Pramod Singh #Love
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Pramod Singh

मेरे हिस्से बस इंतेज़ार रहा,
मेरे साथ बस मेरा यार रहा।

बड़े  शहर की बड़ी  बेटी थी,
मैं छोटे शहर का गंवार रहा।

ढूंढ रहा उसे दीवाना उसका ,
गली  गली  उसे  पुकार रहा।

खंज़र भी तो नहीं काम का,
हर वार  उसका बेकार रहा।

जाओ   मगर   याद  रखना,
तुमपे  प्यार मेरा  उधार रहा।

©Pramod Singh #ArabianNight
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Pramod Singh

गुज़र  रही है  जिंदगी  धुएँ के  सहारे,
धुंआ लाया  है हमको सड़क किनारे।

ये   सब  अपने   घर  के  ही   लोग  हैं,
जो   बर्बादी   देख  रहे  पाऊँ   पसारे।

हम  भी   उसके   चंगुल में  फंस  गए,
जब    उसने    अपने     बाल   सँवारे।

नौजवानों  को भी आशिकी  करने दो,
ये  कम-उम्र  हैं  और ऊपर  से कंवारे।

इस   दिल्लगी   में   एक   ही  दुआ  है,
बर्बाद हों लड़के और खुद को निखारे।

©Pramod Singh #BlackSmoke
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Pramod Singh

रोका  था तुमने जाने से  घर उस  रात,
उतार रही थी तुम जब ज़ेवर उस रात।

खोलकर  गेसू अपने  रिझाया  मुझको,
छोड़ा  तुमने  ज़माने  का डर  उस रात।

इक  आह  भर   के सीने  लगी थीं तुम,
तुमने कहा था  मुझे दिलबर  उस रात।

बदन तिरा कांप रहा था जब होंठ मिले,
तिरा  मेरा  यही  था  मुकद्दर  उस  रात।

वक़्त  थम गया था मेल  हुआ था  जब,
सिलवटों  से भरा था  बिस्तर उस  रात।
©प्रमोद

©Pramod Singh #Chhuan
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Pramod Singh

मोहब्बत  में कुछ  तो दम  है,
हर शख्स को  इसका ग़म है।

इनका हाल जान भी चुप रहे,
क्या वो तस्वीर भी बे-दम है।

ऐ  दरख़्त  ये   पतझड़  नहीं,
पत्ते  न  गिरा   ज़मीं  नम  है।

हाथ  मिला  हर  शख़्स  कहे,
लहज़े में  थोड़ा नर्मी  कम है।

घाव न  दिखाना  किसी  को,
घाव कुरेदेंगें दौर बे-रहम है

©Pramod Singh #WoSadak
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Pramod Singh

जब पहली दफ़ा  मैंने उसे निहारा था,
अगले दिन ख़ुद को उसने संवारा था।

मेरे  तन बदन  में लहर दौड़  पड़ी थी,
जब  उसने   मेरा   नाम   पुकारा  था।

मैंने  सारे  ख़्वाब  सजाए उसके  लिए,
वरना  मोहब्बत  से मेरा  किनारा   था।

जिसके आने से मैंने छुआ था चाँद को,
वो मेरे जीवन का चमकता सितारा था।

इश्क़  के सागर  में प्यास  कैसे  बुझती,
मैं प्यासा ही रहा पानी बहुत खारा था।

©Pramod Singh #Love
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Pramod Singh

ख़ैरियत  के भ्रम में ख़ुदको सुलाते हैं,
हिज्र   के  दिन अपनी  ओर बुलाते हैं।

क्या  बताएं क्या  गुज़रती है  सीने पर, 
जब  बज़्म में  वो हमें दोस्त  बताते हैं।

फ़रेबी  हैं  वो  लोग  सभी मोहब्बत में,
जो इक दूसरे पे अपना हक़ जताते हैं।

नही   देतीं    आंखें  गवाही   पीड़ा की,
रोज़  काँटों  पे  चलकर  रूह रुलाते हैं।

मेरा   तन   बदन  नोंचती   है  हक़ीक़त,
जब  रोज़  ख़ुद  को  नींद  से  उठाते हैं।

अब  तो अपनी  खामोशी  खटक  रही,
दिल बहलाने दोस्त महफ़िल जमाते हैं।
@प्रमोद

©Pramod Singh #boat
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