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raunakkaushik7211
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Raunak (Srijan)

Poet by passion; I enjoy writing on love, society and life in general.

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Raunak (Srijan)

उम्मीदों को आँखों से रिसते देखा है
हमने चरागों को पत्थर घिसते देखा है

©Raunak Kaushik
  उम्मीदें चरागों की
#hopes 
#life
#oneliners

उम्मीदें चरागों की #hopes #Life #oneliners

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Raunak (Srijan)

बचपन से साथ खूब निभाया है हमारी कलम ने
तन्हाई में जो होता हूँ तो कमाल बहुत करती है 

दुनियादारी की समझ मगर ज़रा भी नहीं है इसे
नवाबों की महफ़िल में भी सवाल बहुत करती है

✍✍✍ #कलम
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Raunak (Srijan)

पल दो पल की है ये ज़िन्दगी
देखते देखते ही तमाम हो जाती है
बड़ी मुश्किल से रात ढली थी
पलक झपकते ही शाम हो जाती है

कभी वो नाम दोहराता है दिल
कभी धड़कनें सारी बेनाम हो जाती हैं
कभी आईना बनती थीं उनका
अब आँखें छलकता जाम हो जाती हैं #शाम_ए_उल्फ़त
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Raunak (Srijan)

कभी मुरीद होता है कभी दुश्मन हो जाता है
हँसता भी है कभी कभी हमदर्दी जताता है...

ये आईना हमसे हमारी हकीक़त छुपाता है
ग़मगीन आँखों को भी ये खुशनुमा बताता है... #हकीक़त
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Raunak (Srijan)

ये चाहत अब सर चढ़कर बोलती है
हमें फलक का चाँद दिखाया किसने...

अब तलक मदमस्त हैं ये दोनों आँखें
इनको शब-ए-जाम पिलाया किसने... #खुमारी
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Raunak (Srijan)

तुम छुपा लाई हो सादगी अपने दामन में
हमारा ख़्वाब हमें अब पूरा सा लगता है...

उलझी ज़ुल्फें अगर सुलझा लीं हो तो सुनो
तुम्हारा चेहरा अब अधूरा सा लगता है... #सादगी
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Raunak (Srijan)

किसी को रातें पसंद हैं
किसी को जुगनुओं से प्यार है...
घूमता है कोई बगीचों में
किसी की हर शाम ही गुलज़ार है...

किसी को प्यास नहीं लगती
किसी को समंदरो की दरकार है...
जीता है कोई साँसें लेकर
किसी को धड़कनों का इंतज़ार है... #इंतज़ार
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Raunak (Srijan)

उस शाम के बाद हर शाम बस आपका ज़िक्र है
क्या बताएँ के कितना इंतज़ार किया है हमने

वो साथ में बिताई गई रात हमें भी बखूबी याद है
पर इश्क़ तो हमेशा अगली सुबह से किया है हमने #इश्क़
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Raunak (Srijan)

सियासत कारोबार और हिंसा का मेल है
कभी कलम खरीदी जाती है...
कभी ज़ुबानें काटी जातीं हैं... #सियासत
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Raunak (Srijan)

कभी एक सुंदर बस्ती हुआ करती थी यहाँ
इसकी फ़सीलें अब टूटकर बिखरने लगीं हैं...

रौशनी की बातें अब कौन ही करता है भला
अब तो सियाह रात आँखों में चुभने लगी है... #सियाह_रात
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