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pragyaamrit3519
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Pragya Amrit

I am a simple person with deep thoughts like an ocean ,i am eager to express it all through my emotional expressions,kindly cooperate...

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Pragya Amrit

मुस्कान रहे तो नसीब में,
तस्वीरों में सब मुस्काते।
दिलबर रहे तो करीब में,
पीरों में वो कब हर्षाते।। #व्यथा
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Pragya Amrit

जब मैं ही तुम बन जाउंगी,
जब तुम में मैं रम जाऊंगी।
तब याद कहाँ से आएगी,
परिपक्व प्रीत वहाँ छाएगी।
मुझे मैं में अपने समा लेना,
मेरे तुम को हम बना लेना।
ना याद तुम्हें कर पाऊंगी,
तुम्हें मैं ही समझ भुलाऊंगी।

©Pragya Amrit
  #happypromiseday
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Pragya Amrit

मेरी जान है तू,
तुझ बिन जीना गंवारा नही।

मेरी अर्चन है तू,
तेरे आगे रब भी प्यारा नही 

मेरी धड़कन है तू,
खोना तुम्हें अब दुबारा नही।

वाह क्या साथी है तू,
जिसका कोई सहारा ही नही।।9

©Pragya Amrit
  #lalishq सहारा ही नही.....

#lalishq सहारा ही नही..... #loveshayari

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Pragya Amrit

सजन सुगंधित महक रहे हो।।

एहसासों में बहक रहे हो।
लीन से हम तुम्हें चूमा करते,
विहग से चित्त में चहक रहे हो।
तेरे मिलन से दूर कहाँ हम,
मूझमें ही खिल दहक रहे हो।

सजन सुगंधित महक रहे हो।।

रोम रोम में सिहरन बनकर,
नस नस में आकर्षण बनकर।
सजन प्राण बन धड़क रहे हो,
तभी तो इतना तड़प रहे हो।

सजन सुगंधित महक रहे हो।।

©Pragya Amrit
  #JodhaAkbar सजन सुगंधित महक रहे हो...........

#JodhaAkbar सजन सुगंधित महक रहे हो........... #loveshayari

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Pragya Amrit

ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।
इक नकाब बस यार है,
अंदर पीर लहर दबाकर,
होंठो पर हंसी सजाकर,
जीवन खींचती पतवार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है,।।

मेरे चेहरे की रौनक,
मेरे होंठो की चहक
रहस्यों की कथाकार है
ये सब इक नाटककार है
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।

दर्द को मुस्कान बनाकर,
चित्रकारी की परत चढ़ाकर,
ये ठगने में फनकार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।।

जो दिखे है मिथ्या सजकर,
वो गुप्त द्वंद की झंकार है,
मुस्कान समेटे रुदन स्वर,
बस तस्वीर खींचना भार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।।

©Pragya Amrit स्त्री श्रृंगार

स्त्री श्रृंगार #विचार

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Pragya Amrit

जब पास न हो तो दूर सही,

©Pragya Amrit

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Pragya Amrit

तुझे देख कर लगता तुझ पर गजल लिखूँ,
तुझे देख कर लगता तुझे चित्रों में उतारूँ।
तुझे देख कर लगता मैं तुझे एक कविता बना दूँ,
तुझे देख कर लगता मैं आंखों में ही तेरी सूरत सजा दूँ।
न बनती तस्वीर न लिखी जाए कविताएं,
नयन मेरे तुझे नयनों से हर पल पास बुलाएं।

©Pragya Amrit

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Pragya Amrit

विरह प्रीत की
पीर मीत की
हृदय से प्रियवर
शिरोधार्य है....

©Pragya Amrit #Love
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Pragya Amrit

एक तरफ भावों की बारिश
एक तरफ बूंदों की तरस
कुछ सुनने को आतुर चित्त
और जाते नयन बरस।

©Pragya Amrit #Pencil
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Pragya Amrit

तेरे पग को धो अश्रु से
जिस दिन शीश नवाऊंगी
बह जाएंगे पीर हृदय के
तभी धन्य हो जाउंगी।

©Pragya Amrit #Sunrise
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