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adityavardhangan8660
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Aditya Vardhan Gandhi

Storyteller |Author |Traveller | 📍 Ahmedabad & Connect To Instagram

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Aditya Vardhan Gandhi

White 

"सफर में चलो, हर मोड़ पर एक नई राह मिलेगी,
रास्ते मुश्किल हों तो हौसला न खोना,
हर कदम पर एक नई पहचान मिलेगी,
मंज़िल से पहले सफर का मज़ा लोना।"

©Aditya Vardhan Gandhi #Sad_Status
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Aditya Vardhan Gandhi

White बचपन वो सुनहरी कहानी है, जहाँ हर दिन एक नई खुशी की शाम होती है।
मिट्टी के खिलौने और बारिश की बूँदें सबसे बड़े सपने सजाती हैं।
माँ की गोद में दुनिया की सारी परेशानियाँ खो जाती हैं,
और दोस्तों संग खेलते-खेलते वक़्त के पर लग जाते हैं।

©Aditya Vardhan Gandhi #love_shayari
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Aditya Vardhan Gandhi

White सफ़र में चलना है, तो रुकने का सवाल नहीं,
हर मोड़ पे मिलेंगे, मुश्किलें बेहिसाब सही।
रास्तों ने सिखाया है, सब्र का हुनर हमें,
मंज़िल मिल ही जाएगी, ये सफ़र भी कमाल नहीं।

©Aditya Vardhan Gandhi #good_night
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Aditya Vardhan Gandhi

White आख़िरी किस्त - दीपक कुमार और अंजलि सिंह की प्रेम कहानी
(2018, चित्तौड़गढ़, राजस्थान)

साल 2018, चित्तौड़गढ़ की हवाओं में रानी पद्मिनी की वीरता की कहानियाँ अब भी गूंजती थीं। इसी ऐतिहासिक शहर में, चित्तौड़गढ़ कॉलेज के कैंपस में, दीपक कुमार और अंजलि सिंह की कहानी शुरू होती है। दीपक, एक साधारण परिवार से था, उसका सपना था एक सफल इंजीनियर बनना, ताकि वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सके। दूसरी तरफ़ अंजलि सिंह, राजपूत परिवार की थी, जो पढ़ाई में होशियार और कॉलेज की टॉपर थी। वो स्वभाव से गंभीर और जिम्मेदार लड़की थी, जो अपने परिवार की उम्मीदों का बोझ अपने कंधों पर उठाए चल रही थी।

किस्मत ने दोनों को कॉलेज की लाइब्रेरी में मिलाया, जब एक दिन दीपक अपनी नोटबुक भूलकर किसी की किताब में गलती से लिखने लगा। अंजलि, उसी किताब को पढ़ रही थी और दीपक की गलती से नाराज हुई। लेकिन जैसे ही उसने दीपक को देखा, उसकी गुस्से भरी आंखें नम्रता में बदल गईं। वो कुछ कह न पाई, और दीपक ने शर्मिंदा होते हुए माफी मांग ली। यही मुलाकात, धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई।

दोनों का साथ कॉलेज की हर गलियारे और लाइब्रेरी में देखा जाने लगा। दीपक का साधारण जीवन और अंजलि की राजसी परवरिश के बीच एक अलग ही तालमेल था। दीपक की सादगी और मेहनत ने अंजलि के दिल को छू लिया, और अंजलि की बुद्धिमानी और गरिमा ने दीपक का मन मोह लिया। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई।

लेकिन इस प्रेम कहानी में एक बड़ी चुनौती थी—अंजलि का परिवार। अंजलि के परिवार में परंपराएं बहुत अहम थीं। उनका मानना था कि अंजलि की शादी एक राजपूत खानदान में ही होनी चाहिए। दीपक को यह पता था कि उनका प्यार आसान नहीं होगा, फिर भी वह हार मानने वाला नहीं था। उसने अंजलि से वादा किया कि चाहे कुछ भी हो, वह उनके प्यार की "आख़िरी किस्त" पूरी करेगा।

अंजलि भी अपने परिवार के खिलाफ जाने से डरती थी, लेकिन दीपक के लिए उसका प्यार उसे हिम्मत देता था। दोनों ने तय किया कि वे अपने करियर पर ध्यान देंगे और फिर सही वक्त आने पर अपने परिवारों को मनाएंगे।

समय बीता, दीपक ने अपनी पढ़ाई पूरी की और उसे एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी मिल गई। अंजलि ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की और उसे भी एक अच्छी जगह पर नौकरी मिली। अब वक्त आ चुका था, जब दीपक और अंजलि अपने परिवारों को अपनी प्रेम कहानी के बारे में बता सकें।

दीपक के परिवार ने खुशी-खुशी इस रिश्ते को मंजूरी दे दी, लेकिन अंजलि का परिवार अभी भी इस रिश्ते के खिलाफ था। उन्हें मनाने के लिए दीपक ने पूरी कोशिश की, लेकिन सब बेकार गया। अंत में, अंजलि ने अपने परिवार से कहा, "यह मेरी ज़िंदगी की आख़िरी किस्त है। अगर आप मेरी खुशी चाहते हैं, तो दीपक को स्वीकार करें।"

यह सुनकर, अंजलि के माता-पिता ने एक लंबी चुप्पी के बाद कहा, "हम तुम्हें खुश देखना चाहते हैं, अगर यही तुम्हारी खुशी है, तो हमें यह मंजूर है।"

और इस तरह, चित्तौड़गढ़ की हवाओं में एक और प्रेम कहानी अमर हो गई। दीपक और अंजलि ने एक साधारण पर खूबसूरत शादी की, जहां उनके प्यार की आख़िरी किस्त पूरी हो गई।

समाप्त।

©Aditya Vardhan Gandhi #love_shayari
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Aditya Vardhan Gandhi

White किसपे करे यकीन, किससे करे गिला
मेरा नसीब, तूने क्यों यूं हाला कर दिया।
सपनों की मूरतें थीं चमकतीं कहीं,
तूने उनके रंगों को धुंधला कर दिया।

हर मोड़ पर मिला मुझको धोखे का समंदर,
दर्द की लहरों ने दिल को हल्का कर दिया।
किसी से चाही थी मैंने थोड़ी सी राहत,
पर वक्त ने जख्मों का हक़ अदा कर दिया।

आस थी कि कोई समझेगा दर्द मेरा,
पर तूने तन्हाई में खामोश कर दिया।
किसपे करे यकीन, किससे करे गिला,
तूने ही नसीब मेरा हाला कर दिया।

अब लड़ूंगा मैं खुद से, न किसी से गिला,
मेरी तुन्ही ने रूह को फिर मजबूत कर दिया।

©Aditya Vardhan Gandhi #love_shayari
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Aditya Vardhan Gandhi

White कहाँ चला है दिल का रास्ता,
न जाने किस ओर ले जाएगा।
सपनों की मलिका दूर खड़ी है,
पर अब दिल को कोई इंतज़ार नहीं।

जिसे चाहा, वो मिली नहीं,
जो मिला, उसे चाहा नहीं।
फिर भी दिल में एक धुन है,
शायद किसी रोज़ प्यार मिल जाए कहीं।

©Aditya Vardhan Gandhi #sad_quotes
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Aditya Vardhan Gandhi

White 

*चाँदनी रातों में तेरा ख़याल आता है,  
दिल को एक अजीब सा हाल आता है,  
तू नहीं है पास फिर भी हर लम्हा,  
तेरी मौजूदगी का एहसास आता है।*

©Aditya Vardhan Gandhi #love_shayari
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Aditya Vardhan Gandhi

गली क्रिकेट का अपना एक मज़ा होता है,  
जहां दीवारें होतीं हैं बाउंड्री की जगह।  
छोटे बल्ले, टेढ़ी गेंद और बड़े सपने,  
यही गली क्रिकेट का असली दर्पण है।

©Aditya Vardhan Gandhi cricket

cricket #Life

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Aditya Vardhan Gandhi

White **टाइम ट्रैवल - भाग 1**

मुंबई की हल्की बारिश में, 24 साल का राघव अपनी कार चला रहा था। वह गुस्से में था, उसकी आवाज़ में कसमसाहट साफ झलक रही थी। फ़ोन पर अपने चाचा से बात करते हुए वह बोला, "आपको पता है ना, चाचाजी? जब तक माँ और पापा के कातिलों का पता नहीं लगाता, तब तक चैन से नहीं रहूँगा। शादी-विवाह तो बहुत दूर की बात है।"

दूसरी तरफ, प्रोफेसर कृष्ण शास्त्री अपनी बोरीवली की लैब में व्यस्त थे। वे एक ऐसी कार पर काम कर रहे थे, जो बाहर से देखने में आम कार जैसी थी, लेकिन अंदर उसकी खासियत थी टाइम ट्रैवल। कई सालों की मेहनत से उन्होंने इस कार को तैयार किया था, लेकिन किसी को इसकी खबर नहीं थी, सिवाय कुछ गिने-चुने लोगों के। 

इसी बीच, एक और जगह पर कहानी घुमती है। डोंगरी के एक चीनी गुंडे, विकी भाई के पास फोन आता है। दूसरी तरफ से ऑस्ट्रेलिया से अरुण सिन्हा नामक एक शख्स बात कर रहा था। "विकी, सुना है तेरे इलाके में एक प्रोफेसर है, कृष्ण शास्त्री, जिसने टाइम ट्रैवल करने वाली मशीन बनाई है। मुझे वो मशीन चाहिए। अगर तू उसे मेरे पास पहुंचा देगा, तो मैं तुझे 5 करोड़ दूंगा। मैं तुझे डिटेल्स व्हाट्सएप कर रहा हूँ। तु जल्दी काम कर!" अरुण ने ये कहकर फोन काट दिया और अपनी कुर्सी पर आराम से बैठते हुए एक तस्वीर उठाई। उसने तस्वीर को देखकर एक अजीब सी मुस्कान दी और बोला, "आ रहा हूँ तुम्हें बचाने और मुंबई पर राज करने।"

विकी भाई प्रोफेसर कृष्ण शास्त्री को फोन लगाता है। टपोरी भाषा में बोलते हुए कहता है, "सुन बे शास्त्री, मेरे को पता चला है तेरे पास कोई मशीन-वशीन है। मेरे आदमी आ रहे हैं, वो मशीन चुपचाप दे देना, वरना तू मारा जाएगा। समझा क्या?"

प्रोफेसर शास्त्री, जो अपनी लैब में काम कर रहे थे, अचानक फोन की आवाज़ से चौंके। बिना नंबर देखे ही उन्होंने फोन उठा लिया, और कुछ बोलने से पहले ही विकी भाई की धमकी भरी आवाज़ सुनाई दी।
प्रोफेसर कृष्ण शास्त्री कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गए। विकी भाई की धमकी से उनकी भौंहें सिकुड़ गईं, लेकिन उन्होंने अपने आपको संयत रखते हुए कहा, "देखो, मैं किसी गलत काम में शामिल नहीं होता। ये जो तुम सुन रहे हो, सब अफवाह है। मेरे पास ऐसी कोई मशीन नहीं है।"
विकी भाई ने ठहाका लगाते हुए कहा, "अफवाह-वफवाह छोड़, मेरे को सब पता है। तेरे लैब में जो कार है ना, वो टाइम ट्रैवल करती है। मेरे आदमी बस पहुंचने ही वाले हैं। समझा? अगर मशीन नहीं मिली, तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा!"
प्रोफेसर ने फोन काट दिया, पर उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही थीं। उन्होंने अपनी लैब के चारों ओर नजर दौड़ाई। ये उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खोज थी, लेकिन अब ये खोज उनके लिए खतरा बनती जा रही थी।
दूसरी ओर, राघव अपनी कार के भीतर गहरी सोच में डूबा था। उसे पता था कि उसके माता-पिता के कातिलों का सुराग किसी हाई-प्रोफाइल गैंगस्टर से जुड़ा हुआ था, लेकिन अब तक वह इसका पता नहीं लगा पाया था। अचानक, उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आया—किसी अनजान नंबर से एक संदेश। संदेश में लिखा था, "अगर सच्चाई जाननी है, तो प्रोफेसर कृष्ण शास्त्री से मिल।"

©Aditya Vardhan Gandhi #Sad_Status
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Aditya Vardhan Gandhi

White यह कहानी एक छोटे से गांव के लड़के अमन की है, जो अपनी माँ के साथ एक साधारण जिंदगी जीता था। अमन के पिता का निधन बचपन में ही हो गया था, और उसकी माँ ही उसे पाल-पोस कर बड़ा कर रही थी। गाँव में लोग अमन की ईमानदारी और मेहनत की तारीफ करते थे। अमन का एक सपना था – वह शहर जाकर बड़ा आदमी बनना चाहता था ताकि अपनी माँ को सारी दुनिया की खुशियाँ दे सके।

अमन ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी, लेकिन गाँव में नौकरी के अवसर कम थे। एक दिन उसने फैसला किया कि वह शहर जाकर अपनी किस्मत आजमाएगा। उसकी माँ थोड़ी चिंतित थी लेकिन उसने अपने बेटे का सपना कभी नहीं रोका। उसने अमन को गले से लगाते हुए कहा, "बेटा, मैं जानती हूँ कि तू कुछ बड़ा करेगा, बस अपने संस्कार और ईमानदारी कभी मत छोड़ना।"

अमन शहर पहुँचा। वहाँ का माहौल बिलकुल अलग था – भीड़, गाड़ियाँ, शोर। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ से शुरू करे। उसने कई जगह नौकरी के लिए अप्लाई किया, लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। 

फिर एक दिन उसे एक बड़ी कंपनी में चपरासी की नौकरी मिली। काम छोटा था, लेकिन अमन ने उसे ईमानदारी से निभाया। धीरे-धीरे कंपनी के लोग उसकी मेहनत और ईमानदारी की कद्र करने लगे। अमन का सपना था कि वह एक दिन इस कंपनी में बड़ा पद हासिल करे, लेकिन इसके लिए उसे पढ़ाई जारी रखनी थी। इसलिए वह दिन में काम करता और रात को पढ़ाई।

कुछ महीनों बाद, कंपनी में एक बड़ी परीक्षा हुई, जिसमें कर्मचारियों को प्रमोशन का मौका था। अमन ने भी परीक्षा दी और कड़ी मेहनत की। परिणाम आया और अमन ने पूरे शहर में सबसे अच्छा स्कोर किया। कंपनी के मालिक ने अमन को बुलाकर कहा, "तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी ने हमें बहुत प्रभावित किया है। अब से तुम हमारी कंपनी में मैनेजर हो।"

अमन की आँखों में आँसू थे। उसने फोन पर अपनी माँ को यह खुशखबरी दी। माँ ने गर्व से कहा, "मुझे पता था, बेटा, कि तू एक दिन जरूर सफल होगा।"

अमन ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और ईमानदारी से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। वह अपने गाँव लौटकर अपनी माँ को शहर ले आया और अब वह दोनों आराम से एक खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं। 

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हमारे इरादे पक्के हों और हम मेहनत करें, तो सफलता हमें जरूर मिलेगी।

©Aditya Vardhan Gandhi #Sad_Status
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