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आलोक अग्रहरि

I want to become a poet ✍️✍️

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आलोक अग्रहरि

गरीबी के मायने देश को बतलाने लगे हैं।
देते हैं मुफ़्त राशन ये एहसान जताने लगे हैं।।

जो मंहगाई,बेरोजगारी और अशिक्षा का रोना रोते थे कभी।
वही स्वर्ण पे 3% और शिक्षा पर 18%जीएसटी लगाने लगे हैं।।

राष्ट्र हित को जो सर्वोपरि बतलाया करते थे आलोक।
वो सिर्फ अडानी,अंबानी का हित करते नज़र आने लगे हैं।।

जो जवानों की शहादत को देश पर कर्ज माना करते थे कभी।
वही 300KG RDX कहां से आया मालूम करने से कतराने लगे हैं।।

जो किसानों की आत्महत्या पर खूब चिंघाड़ा करते थे।
राजपथ पर अनशन करते किसानों पर वही लाठीचार्ज करने लगे हैं।।

पेट्रोल,डीज़ल और सिलेंडर के लिए को कभी जाम लगाया करते थे।
वही स्मृति ईरानी अब सड़कों पे सिलेंडर रखने से कतराने लगी हैं।।

जो पार्टी काला धन वापस लाने का कभी समर्थन किया करती थी।
वही अब अपने आंचल में आरोपी,भ्रष्टाचारियों को छुपाने लगी है।।

जो सभी राज्यों को हिंदूराष्ट्र भारत का अभिन्न अंग कहते थे।
वही मणिपुर के जलने पर अब दो शब्द नही कह पाते हैं।।

हुआ मुझसे भी है दो बार अपराध जाने कैसे दे दिया?बीजेपी को वोट।
राष्ट्र संपति बेचने वालों को आलोक मेरा वोट अब कतई नहीं जाएगा।।

©आलोक अग्रहरि #राष्ट्रहित
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आलोक अग्रहरि

नफरत कर नही सकते थे...
इसलिए सबसे मोहब्बत कर ली।

जिल्लत भरी जिंदगी जी नही सकते थे...
इसलिए मैंने खुदकुशी कर ली।।

©आलोक अग्रहरि #Death
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आलोक अग्रहरि

जब रिश्ते मुझको मुझसे ही तुम..
क्यों मांगते हो?

गर रिश्ता निभा नही सकते...
फिर क्यों बनाते हो?


जाना सभी को अकेले ही है... 
जहान से आलोक,

मेरा हमसफर बनने का दम 
फिर क्यों भरते हो?

©आलोक अग्रहरि #PoetInYou
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आलोक अग्रहरि

साथ रहकर पता पड़ा  आलोक उनको जरूरत थी मेरी...
जाने से,जाने क्यों रोका नही?

लिपट जाने की थी तमन्ना मेरी भी...
बाहें मैंने जाने क्यों फैलाई नही?

©आलोक अग्रहरि #AdhureVakya
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आलोक अग्रहरि

सिर्फ दीवारों पर लिखने से...
न्यूज चैनल पर झूठे वादे करने से...
अच्छे दिन नही आने वाले हैं।

महज़ धारा 370 के है जाने से...
आनन फानन प्राण प्रतिष्ठा करने से...
अच्छे दिन नही आने वाले हैं।

गौरव की सचमुच आलोक बात हुई है...
हुआ निर्मित सैकड़ों वर्षों बाद मंदिर महान...
किंतु इतने से अच्छे दिन नही आने वाले हैं।

विश्व गुरु बनने का सपना दिखलाया...
फिर कर्जे में भारत को डुबाया जा रहा...
क्या ऐसे अच्छे दिन आने वाले हैं?

वर्तमान में मनमोहन जी जैसे सेवक प्रधान नही...
हैं बोलते कम किंतु करके दिखलाते हैं...
क्या सचमुच वो अच्छे दिन थे?

डीजल,पेट्रोल जैसी मूलभूत सुविधाओं पर...
दूध,अनाज,शिक्षा पर भी कर का कठोर वार किया...
क्या इन्हीं अच्छे दिनों का सपना दिखलाया था?

©आलोक अग्रहरि #अच्छे_दिन
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आलोक अग्रहरि

देश का आलोक क्या हाल हो गया?
आम आदमी मंहगाई से हार गया।
अब और नही केंद्र में बीजेपी चाहिए,
मनमोहन जी जैसे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री चाहिए।।

देश का युवा रो रो कर अधेड़ हो रहा,
भारत का भविष्य मोबाइल से खेल रहा।
भ्रष्टाचार और बेरोजगारी चरम सीमा पार कर रहा,
हर धर्म महज़ नौ वर्षों में संकट से आ घिरा।

पारदर्शिता,शिक्षा,स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं
के सारे वादे आलोक गुलर के फूल हो गए।।
संविदा,अग्निवीर जैसे तमाम घटिया किरदार बनाकर,
युवाओं का निरंतर शोषण करते जा रहे हैं सभी।

खुद तो पेंशन और हर सत्र में अपना वेतन बढ़ाते हैं,
सैनिकों तक के पेंशन को ये लगातार खा रहे।
समय हर बार अवसर नही देता ए भारत के वाशिंदों,
मनमोहन हैं इक्यानवे के लाओ पुनः सत्ता में उनको।।

©आलोक अग्रहरि #2024election
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आलोक अग्रहरि

न योगी,न मोदी,न भोगी चाहिए।
भारत का भविष्य सुरक्षित चाहिए।
साठ महीनों की थी चाहत जिनकी,
जस्ट दोगुना वक्त दे चुका भारत।

2014 में युवा बुलाते थे जिनको,
मोदी शाह जी अब वो पैंतीस पार हुए।
रोजगार के नाम पे तलते पकौड़ा,
टीचर था बनना और वो मजदूर बनें।

कश्मीर मिला,बना राम मंदिर निराला।
किंतु मंहगाई का समाधान नही निकाला।
काला धन,बेरोजगारी,शिक्षा,स्वास्थ्य जैसे,
जाने कितने वादे भूल गए मिलते ही सत्ता।

हुआ बदतर जीवन आमजनमानस का,
किसान मजदूर और मध्यम वर्ग पिस रहा।
देकर मुफ़्त खोरी का अनाज,बिजली,
अपंग बनाने का क्या खूब तरीका निकाला!

कहने को तो बहुत कुछ भरा है जेहन में 
किंतु अभी भी कर रहा विनम्र निवेदन हूं
झूठे सपने,झूठे वादे अब न दिखलाओ🙏
आम जन मानस पर तनिक दया दिखलाओ।।

©आलोक अग्रहरि #PMBirthday
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आलोक अग्रहरि

सर्दियों की सर्द रातों में मिले हो मुझको,
मगर गर्मियों में छोड़ न जाना।।

बारिशें पसंद हैं मालूम हुआ है मुझको,
मगर गर्मियों में छोड़ न जाना।।

निवास है उत्तर प्रदेश में मेरा इसलिए,
सदा नैनीताल में रह नही सकता।।

वादा किया है गर हर कदम साथ चलने का
वादे अपने भूल न जाना।।

अधूरे हैं एक दूजे के बिना ये कहता है जमाना,
ज्योति से ही है आलोक ये नियम तो है पुराना।।

सर्दी और बारिशें गर साथ छोड़ भी जाएं मौसम का
मगर आलोक को छोड़ न जाना।।

©आलोक अग्रहरि #loyalty
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आलोक अग्रहरि

आलोक जो वक्त को वक्त समझता नही,
यौवन को वरदान जो समझता नही।

कुढ़ता रहता है बुढ़ापे पे वो इंसा अक्सर,
बचपन की गलतियों को जो सबक समझता नही।।

©आलोक अग्रहरि #feelingsad
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आलोक अग्रहरि

जब मान किसी को हद से ज्यादा मिलता है,
जिसके लायक वो है नही,सहज उसे वो मिलता है।

तब जाता है टूट सब्र किसी एक पक्ष का,
फिर होता है अंत रिश्ते का और पछताना पड़ता है।।

©आलोक अग्रहरि #इंतजार
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