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shubpreet

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shubpreet

#Sirf_tum
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shubpreet

वो पीला गुलाब
 मन को महका जाता
बिना किसी वादे के
दोस्ती जो निभा जाता
लाल गुलाब संग चाह जुड़ी
ये पीला रंग यूहीं साथ दे जाता
मन सहला उदासी दूर भगाता
जख्मों को भी अपना जाता
लाल रंग की चाह सभी को
बिन चाह के समर्पण 
ये पीला रंग सीखा जाता 💛

©shubpreet
  #Baagh 
#दोस्तीकारंग
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shubpreet

 प्रेम का सच्चा अर्थ
जो समझ गया
उसने प्रेम को पाया नहीं
उसी में खो गया
जो जान गया क्या है
किसी का हो जाना
क्या है खुद को खोकर
खुद को ही पाना
वो ही तो इस प्रेम सागर
में बिन तैरे भी तर गया
🌹❣️🖋️

©shubpreet
  #kinaara 
#प्रेम_की_परिभाषा 
#प्रेम_ही_ईश्वर_है
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shubpreet

स्त्री के श्रृंगार 
को अलंकारों से न सजाओ
स्त्री स्वयं अलंकारों में अलंकार है
शत्रु हो सामने तो लिए तलवार हाथ
मनु बनी वीरता की ललकार है
प्रेमी के लिए मन सुगंधित
रति सी सजी मधुर झंकार है
संतान सामने वात्सल्य से झलकित
अनुसूया सी देती देवो को भी दुलार है
स्त्री के श्रृंगार को क्या कोई बखान करें
स्त्री के अस्तित्व से ही उत्पन्न हर श्रृंगार है🌹❣️

©shubpreet
  #Parchhai 
#स्त्रीअस्तित्व
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shubpreet

जिंदगी के कुछ लम्हें
 खुशी संग गुजार लीजिए
फिर वक्त मिले न मिले
कुछ सपने संवार लीजिए
लीजिए अनुभूति कुछ प्रेम की
कुछ तो दिल से इकरार लीजिए
क्या पता कब कौन कहां
हमसे बिछड़ जाए
दो पल ही सही 
हाथ तो थाम लीजिए
दिल को खाली कर जाना
यहीं इसी जमाने में
कुछ न किसी का उधार रखिए
हां कुछ पल तो स्वयं पर गुजार लीजिए❣️🖋️

©shubpreet
  #Mulaayam
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shubpreet

कानो में झुमका सजाए
तुम बहुत ही प्यारी लगती हो
सज संवर जब सामने आती
दुनिया हमारी लगती हो
हृदय स्पंदन पैदा करती
पायल की झंकार तुम्हारी
चूड़ी की खनक से जैसे
नव चेतना भरती हो
सुसज्जित हो अस्त्रों से अपने
जब हृदय पर वार तुम करती हो
नैनो से तीर हैं चलते
मुस्कान से भी घायल
हर बार करती हो🌹❣️

©shubpreet
  #Love
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shubpreet

रूह की आजादी 
को पा ही जाऊं
कभी कभी मन करता है
बस लिखते ही जाऊं
लिख दूं बेबसी मन की
शब्दो की कमी में
कैसे मैं समझाऊं
लिख दूं बोझिल दुनिया की रवायतें
लिख दूं मन की सारी शिकायतें
लिख दूं समाज के ढकोसले
कितने ही हो चुके जो खोकले
स्त्री कलम को भी कोई पढ़ ना पाए
बना पहेली जिसे अबूझ ही छोड़ दिया
हर परत में समाज ने खुद को ही ढंक लिया
अपनी जिम्मेदारी का हर जिम्मा क्यों
स्त्री संग मंढ दिया
लिख दूं सच कड़वा जो गले से 
भी ना उतर पाए🖋️🙏

©shubpreet
  #Chhavi
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shubpreet

 अच्छा सुनो !
आज फिर कुछ बेमतलब से
बेमेल से शब्द लिख रही हूं
कुछ तो बात है जो निकालने को
बेहद लिख रही हूं
पढ़ जाओ तो समझा देना
आज खुद की ही समझ से परे लिख रही हूं🖋️🌹

©shubpreet
  #yaadein
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shubpreet

 अच्छा सुनो !
यूं तन्हा बैठ अकेले चांद न देखा करो
ये ज्वार सी उठती भावना को
खुद ही में समेट लिया करो
ये दुनिया है नहीं समझती विश्वास को
अपनी आस को शब्दो में ही सजा लिया करो🖋️🌹

©shubpreet
  #WoRasta
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shubpreet

अनचाहे स्पर्श 
मन को झकझोर देते है
एक सिहर सी उठती है बदन में
आत्मा तक को निचोड़ देते हैं
ये स्पर्श सिर्फ छूने से ही नहीं
कुछ आंखो से भी सीमाएं तोड़ देते हैं
हां मैं स्त्री हूं स्त्री रहने दो ना
क्यों शरीर को टुकड़ों में तोड़ देते हैं
आंखें होठ वक्ष कमर हाथ
सब हाड़ मांस तुम जैसा ही
क्यों फिर इन्हें अपनी वासना से जोड़ देते हैं
अनचाहा स्पर्श चुभता है कांटों सा
जो हर किसी से रिश्ता तोड़ देते हैं
कभी खुद को स्त्री सा रख कर देखो
जानोगे क्यों वो हर पुरुष पर
शक की मटकी फोड़ देते हैं
अनचाहा स्पर्श मात्र शब्द ही
जैसे हर रास्ता मोड़ देते हैं🙏🖋️

©shubpreet
  #sparsh
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