एक ग़ज़ल
तुझे यादों से मैं आज़ाद करके।
बहुत रोया हूँ दिल नाशाद करके।
तमन्नाओं की गठरी बांध ली है।
चला जाऊँगा तुझको याद करके।
#nojotophoto
arun dhuwadiya
लहजों की तलवारें ताने रोज सितमगर जाने क्यों?
जिनसे थी उम्मीद प्रेम की, वो है पत्थर जाने क्यों।
नफरत की ये आग लगाये, शब्दों की चिंगारी से।
अपनों की आई बारी तो, रोए मुनव्वर जाने क्यों।
आसानी से मुझको बोली, यार जुदा अब हो जाये।
मेरे जाने पर कमरे में, रोई छुपकर जाने क्यों। #nojotophoto
arun dhuwadiya
मजहबी पखण्ड का उपचार हो।
और जिहादी सोच पर भी वार हो।
ये नहीं चाहा कभी आवाम ने।
कौम से इंसानियत की हार हो।
नफरती लोगों को समझाओ जरा।
प्रेम की इस धरती पे बस प्यार हो।
arun dhuwadiya
तमाम दोस्तों से दूरियां बहुत अच्छी।
अभी से जंग की तैयारियां बहुत अच्छी।
जरा से दिन में ही घबरा गए कफ़स से तुम
सुनो तो मौत से ये बेड़ियां बहुत अच्छी।
तुम्हारे मेरे घरों में न मौत दस्तक दे।
इसीलिये ये जबरजस्तियाँ बहुत अच्छी। #Aprilfoolday
arun dhuwadiya
इस तरह आज जी रहे हैं सब।
उधड़े ख्वाबों को सी रहे हैं सब।
झूठी दुनियाँ के साथ चलने को।
अपने आँसू भी पी रहे हैं सब।
मुझको तन्हाई का दिया अहसास।
औ मेरे साथ भी रहे हैं सब। #nojotophoto
arun dhuwadiya
बड़बोले बस बोल रहे है।
शब्दों से विष घोल रहे है।
भाग रहे है जो घर से भी।
काम तंत्र का तोल रहे है।
रखवाली का जिम्मा जिनको।
वो ही तालें खोल रहे है।
जहाँ जाती नज़र कुछ भी नहीं है।
जहां में मोतबर कुछ भी नहीं है।
बता क्या होगा उन सब मुफ़लिसों का।
न खाना है न घर कुछ भी नहीं है।
तुझे बस सावधानी ही बचाये।
दवाओं में असर कुछ नहीं है।
अगरचे ख़ाक ही होना तो दिल्लगी कर लो।
गुलामी करनी ही चाहों तो इश्क़ की कर लो।
ये बोला मेने की बिन तेरे जी न पाऊँगा।
बड़े ही प्यार से बोली वो, खुदखुशी कर लो।
दिलो दिमाग की बनती नहीं मुहब्बत में।
कहूँगा सोच समझ कर ही आशिक़ी कर लो।