Nojoto: Largest Storytelling Platform
prashantsingh0428
  • 14Stories
  • 77Followers
  • 65Love
    13Views

Prashant Singh

  • Popular
  • Latest
  • Video
28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

मोहब्बत का यही गुनाह होता है
 हर किसी को मुकम्मल मुकाम कहां पाता है 
एक तरफ  एक चिंगारी रह जाती है 
सीने में जो अल्फाजों में बयां होता है दर्द Madhavi Choudhary

दर्द Madhavi Choudhary #शायरी

28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

मेरे देश की धरती, सोना उगले

धरती का सीना चीर किसान
पीला सोना उगाता है।
तन का पसीना बहा के किसान
रक्त को पानी बना फसलें उगाता है।
खेतों में खड़े फसलों की बालियां 
हवा में समृद्धि की गाना सुनाती हैं।
खेतों की जमीन जोत जोत
मिट्टी को हलवा सा बनाता है।
नन्हे मुन्ने बीज पौधों को रोप रोप
धरती का श्रृंगार करते हैं।
पत्थर सी बंजर भूमि
बाग बगीचे बनाते है।
मिट्टी में पैसों को डाल
अन्न के रूप में देशभक्ति उगाते हैं।
विपत्तियों के कालचक्र बाढ़ सुखाड़ बनके 
किसान कहां डर के बैठ जाते हैं।
मर जाता है अन्नदाता भी कभी
जब अन्न को भोजन नहीं समझा जाता है।
सर्वजन सुखाय प्रायः किसान राष्ट्रभक्त कहलाता है
जाने कितने कीट पतंग चूहे उसका अन्न खाता है।
बिकती हैं अन्न की बोरियां कूड़े के भाव लगते हैं
सड़क समाज बाजार पर प्रायः किसान बोझ सा लगता है।

नंगे पांव सर पर गामछी
सादा जीवन सुखा आहार।
दुर्दशा में है आज किसान
बन गया है राजनीति का अचार।
अभाव सदा इनके चौखट पलता है
बैंकों की नजर में सदा खटकता रहता है।
मकर संक्रांति लोहड़ी वैशाखी
जब लाए घर खुशहाली।
बसंत पंचमी उगड़ी गुडी पड़वा
समृद्धि की है निशानी।
देख तमाशा दुनिया की फसलों का पर्व सब मनाते हैं
जब धरती से उगले सोना, हो गए तीज त्यौहार पर्व मेला।
हर मौसम की मार सह पीला सोना काटता है
देख तमाशा विधाता की फिर भी किसान भूखा सोता है। किसान Pinky Kumari

किसान Pinky Kumari #कविता

28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

धरती का सीना चीर किसान
पीला सोना उगाता है।
तन का पसीना बहा के किसान
रक्त को पानी बना फसलें उगाता है।
खेतों में खड़े फसलों की बालियां 
हवा में समृद्धि की गाना सुनाती हैं।
खेतों की जमीन जोत जोत
मिट्टी को हलवा सा बनाता है।
नन्हे मुन्ने बीज पौधों को रोप रोप
धरती का श्रृंगार करते हैं।
पत्थर सी बंजर भूमि
बाग बगीचे बनाते है।
मिट्टी में पैसों को डाल
अन्न के रूप में देशभक्ति उगाते हैं।
विपत्तियों के कालचक्र बाढ़ सुखाड़ बनके 
किसान कहां डर के बैठ जाते हैं।
मर जाता है अन्नदाता भी कभी
जब अन्न को भोजन नहीं समझा जाता है।
सर्वजन सुखाय प्रायः किसान राष्ट्रभक्त कहलाता है
जाने कितने कीट पतंग चूहे उसका अन्न खाता है।
बिकती हैं अन्न की बोरियां कूड़े के भाव लगते हैं
सड़क समाज बाजार पर प्रायः किसान बोझ सा लगता है।

नंगे पांव सर पर गामछी
सादा जीवन सुखा आहार।
दुर्दशा में है आज किसान
बन गया है राजनीति का अचार।
अभाव सदा इनके चौखट पलता है
बैंकों की नजर में सदा खटकता रहता है। पीला सोना Madhavi Choudhary

पीला सोना Madhavi Choudhary #कविता

28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

नादान परिंदे को चला मालूम
मीठे फलों को खाते बिझड गया झूंड
थोड़ी सी भूल हो गई चूक
थोड़ी गर्दन झुका के पंखों को देख हो गया खुश

28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

मां माटी मानुष 
है अनवरत सिंचते
सत्य समाज संस्कार
है अविरल तन मन के
गाय गंगा गांव
है अटल धरती के उपजे
आशा आयु उन्नति
है जड़े इधर उधर से

सब एक हैं साथ हैं
नदियों की धाराओं से बंधे हैं
विशाल वृक्ष की शाखा है
मिट्टी में दीमक लगे तो फिर जड़े कहां हरे भरे हैं

ठहरे हुए मौसम मानुष है
रुका हुआ पानी सड़ा है
पल-पल प्रकृति बदलता है
बीती बातें आज बदलता है

सच्ची अच्छी बातें कहावतें बनती हैं
सर्वजन सुखाय सदा हिताय सोच काम आती है
धन का बढ़ना ठीक मन का ना बढ़ना रीत फल फूलती है
अमरता नहीं किसी को फिर भी अकाल जाना कहां भाती है

आओ मिलकर रचे नया बगीचा
जहां कोई पेड़ ना कटे हरा हरा
सब एक हैं साथ हैं
अमरबेल की तरह इंडिया वाले #इन्डियावाले
28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

दिल के जज्बात उतार दूं या कलम के स्याही से भाव साजा दूं।
रिस्ते की कलह खोल दूं या प्यार के अनकही शब्द तौल दूं।
28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

खाना बना । रोटी पकी ।रह गई बासी।
चल रही दंपति मे गालीगलौज । मन हुआ  उदास ।
पसरा है सन्नाटा । खामोश हो गए शब्द ।
तन है पास-पास ।मन फिर भी दूर ।
विपत्ति आती है तो खुशियो का हो जाता ग्रहण ।
जिंदा हूं तो जिंदगी चलती रहेगी 
उदास हूं तो नाकामी लाएगी
28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

deba shah
28714f7f2eace8699f72e0367831cf0f

Prashant Singh

घर घर विराजे राम देखा 
जैसे वनवास गए राम को दशरथ मरते देखा।
मुख मुख सरस्वती बसी रामायण देखा 
यश काम-लालच आँखो मे बसी रावण देखा। Saeeda  Meera Bai

Saeeda Meera Bai #कविता

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile