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विष्णुप्रिया

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विष्णुप्रिया


______🪷_____

उदित हुआ नव अर्क है,
बिखरे स्वर्ण प्रकाश ।
सूर्य तेज धारण करो,
लिए बढ़ो नव आस ॥
______🪷_____

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विष्णुप्रिया


स्याह यामिनी में छिपे,
तारक धवल अपार ।
छिटक रही है चांदनी,
दीप्त लगे संसार ॥

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विष्णुप्रिया

देख रहे दृग श्याम पयोधर,
अंबर में घन घोर घिरें जब ॥
झूम उठे जग पावन पाकर,
पावस तोय सुकोमल को तब ॥
नेह लगे झरने वसुधा पर,
अंबुद के दृग कोमल से अब ॥
नृत्य करें फिर सृष्टि मनोहर,
तृप्त हुई शुचि शुष्क धरा सब ॥

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विष्णुप्रिया

बैठें हैं नित ध्यान में, शिव शंकर विकराल
शीश इंदु करता सदा, दीप्त प्रभु का भाल ॥
दीप्त प्रभु का भाल, पखारें हैं माँ गंगा ।
नाग कंठ का हार, लगावैं भस्म सुअंगा ॥
देख रूप विकराल, दैत्य सब भय से ऐंठें ।
बाघंबर परिधान, पहन शिव भोले बैठें ॥ #yqdidi
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विष्णुप्रिया

बीतते जीवन क्षणों में
रोक के गति काल की
छेड़ जाती है विहांस कर
कुछ स्मृतियां भाल की..... #yqdidi
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विष्णुप्रिया

ओढ़ तारकों से जड़ी,
चूनर रम्य अनूप ।
ठुमक चले है यामिनी,
रुचिर लगे है रूप ॥ Image credit - printerest

#yqdidi #विष्णुप्रिया #शुभरात्रि
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विष्णुप्रिया

शुभ सवेरा 🌿 

स्वर्णिम आभा अर्क की,
बिखर गई चहुं ओर ।
कलरव विहागों का करे,
आनंदित शुभ भोर ॥ सुप्रभात
#yqdidi #विष्णुप्रिया
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विष्णुप्रिया


चमक उठे फिर व्योम में,
नखत इंदु के संग ।
आभा रजनी की खिली,
देखें दृग हो दंग ॥ Image credit pinterest

चमक उठे फिर व्योम में,
नखत इंदु के संग ।
आभा रजनी की खिली,
देखें दृग हो दंग ॥

शुभ रात्रि 🪷🙏

Image credit pinterest चमक उठे फिर व्योम में, नखत इंदु के संग । आभा रजनी की खिली, देखें दृग हो दंग ॥ शुभ रात्रि 🪷🙏 #yqdidi #दोहा #हिंदी_कविता #विष्णुप्रिया

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विष्णुप्रिया

बिंदी मां के माथ की,
देती यह संदेश ।
त्याग प्रेम का गर्भ है,
ममता का परिवेश ॥


बिंदी मंडन ही नहीं,
अपितु तीसरा अक्ष ।
दीप्त करे मम भाल को,
अंबर के समकक्ष ॥ Image credit google
#yqdidi #हिंदी #दोहा  #विष्णुप्रिया*
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विष्णुप्रिया

धवल ज्योति शुभ चंद्र की,
छिटक गई चहुं ओर ।
नक्षत्रों से दीप्त हुई,
सकल व्योम की कोर ॥

अद्भुत है यह यामिनी,
अंधकार की गोद ।
भर अंचल में लुटा रही,
तारक ज्योति प्रमोद ॥ भावार्थ - रात होते ही चंद्रमा की स्वेत चांदनी, संपूर्ण संसार में बिखर जाती है, और टिमटिमाते तारों से सारा आकाश चमक उठता है ।
रात्रि की तो बात ही अनोखी है, स्याह अंधकार में लिपटी हुई रात भी अपने आंचल में समेटे ढ़ेरों तारों के प्रकाश का (सुंदरता ) सुख लुटती है, जिससे मन हर्षित होता है ।
#रात्रि #दोहे #शुभरात्रि #yqdidi #विष्णुप्रिया

भावार्थ - रात होते ही चंद्रमा की स्वेत चांदनी, संपूर्ण संसार में बिखर जाती है, और टिमटिमाते तारों से सारा आकाश चमक उठता है । रात्रि की तो बात ही अनोखी है, स्याह अंधकार में लिपटी हुई रात भी अपने आंचल में समेटे ढ़ेरों तारों के प्रकाश का (सुंदरता ) सुख लुटती है, जिससे मन हर्षित होता है । #रात्रि #दोहे #शुभरात्रि #yqdidi #विष्णुप्रिया

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