जनाजा मेरा उठ रहा था;
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में;
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी;
और कितनी देर है दफनाने में. #ekshayar_dS#ds
shayar
yunhi mujhe tabha na karo
shayar
जमींर हमसे बेचा ना गया,
वरना शाम तक अमीर हो जाते..!
वाकिफ़ तो हम भी हैं, मशहूर, होने के तौर तरीकों से,
पर ज़िद तो हमें अपने अंदाज से जीने की है। #ekshayar_dS#ds