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संदीप दहिया

तलाश में खोया हुआ मुसाफिर

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संदीप दहिया

सुनो, किताबों की बातें रहने दो किताबों में,  सवालों से कहो महफिलों में न जाया करें, लोग भर देते हैं जाम आजकल जवाबों में।।
सजाएं जो भी मिले मंजूर है जिंदगी कोई शिकायत नही, आज कल यूँ भी दिल भरता नही तेरे सवाबों (इनाम) में।।

©संदीप दहिया #findyourself #जिंदगी
#दस्तूर
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संदीप दहिया

ये धूप और रोशनी भी ले के रखतीं हैं अंधेरों का साया यहां, 
बताती हैं सदा के लिए नही कोई आया यहां।।
अच्छे बुरे सब के मायने हैं, अंदर हैं सबके सबकी सोचो समझ, कोई विचार नही पराया यहां।।
जो गुम हुआ वो अपना था नही, साथ वो भी न होगा जो कमाया यहां।।
happy diwali

©संदीप दहिया #Diwali 

#Diwali
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संदीप दहिया

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संदीप दहिया

'राहत' नही कोई अब शहर ए बदहवास में, रुकता नही कोई चलते हुए चले जाते हैं मंजिल की आस मे,

न आंख नम हैं न दिखाने को गम है,हर एक को छटपटाहट है जो भी है कुछ कम है, हद है समुंदर डूब रहे साहिल की प्यास में।

अब तुम भी नही रहे सम्भालने को के गिर जाएं,अब तो खो जाना पड़ेगा तुम्हारी तलाश में।। राहत से खाली शहर का हाल

#RIPRahatIndori

राहत से खाली शहर का हाल #RIPRahatIndori

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संदीप दहिया

मदहोश है जमाना तेरे रस्ते से जाने के बाद, भला जमाना देख ले तुमको तो भला और देखेगा भी क्या,
कई मसलन पड़े हैं बीमार तेरे जाने के बाद
मर्ज ए मुहब्बत में कोई तुमसे परहेज लिख देगा तो क्या ।। #Muh_par_raunak
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संदीप दहिया

शियास्त के गुलीस्ताँ में फूल जैसा दिखता था वो शजर, घर मे ले आया तो मिट्टी को लहू लुहान कर दिया उसने।।
वो जो बड़े अदब से बैठा था बाजार के अंदर किसान बन कर के, जब आढ़त में लगा तो खेतों को श्मशान कर दिया उसने।।
सफेदपोश शख़्स जो आया था  नजर चुनावी मेले में हाथ जोड़े हुए, फिर मिला तो अहसानो को बस जान पहचान कर दिया उसने।। #मौकापरस्ती #opportunism
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संदीप दहिया

जो इधर जैसे थे वो उधर हो गए जो उधर थे वो इधर हो गए,
दीवारें बनाने वाले हर और से घिर कर घर हो गए।। 
रात के इंतज़ार में जो दिन को खपा चुके हैं, जब ख्वाब देखने का वक़्त हुआ वो खुद ही अब्र हो गए।।
बड़ा हुआ सफर , बहुत रस्ते टटोल डाले, हमने मंजिल से मुहबत क्या की तो हम  बेसब्र हो गए,
अब सोच में है कहाँ जाए, किद्दर जाएं, जो रस्ता बताते थे खुद ही सफर हो गए।। #bharat #bebetter #dontpakistanize #noCAB
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संदीप दहिया

#Worldteacherday जरा सी ठोकर लग गई तो क्या, तू रुक गया है क्यों बता जरा,
सूरज के ढल जाने से हर और अंधेरा छाने पे भी रुकी तो नही धरा।
हर और विध्वंश था , शर से कटा हुआ था तन का हर एक सिरा, 
अभिमन्यु तब तक जय रहा जब तक न होकर बेदम गिरा। #whyFallWhenYouCanRise
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संदीप दहिया

मोहब्बत है क्या चीज़ मुहब्बत है क्या चीज  कुछ और असर दिखता है,रात के सन्नाटों में दिन का जुनूँ मिलता है।
जुबां से बात नही होती तेरी आँखों की हरकत से पता चलता है,  क्यों ना में भी इकरार का सुकूँ मिलता है।। #morningmuhabbat
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संदीप दहिया

पहली बार मिले और पहली बार मिले और फ़साना जिंदगी भर का हो गया, जिंदगी की डोर तुझे सौंपी तू खुद आसमाँ हो गया।।
ढूंढता फिरता हूँ परछाई तक नही मिलती तेरी, मैं सूरज समझ बैठा था तू खुद अंधेरा हो गया।। #pehlibaar #आख़िरीबात
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