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ramjitiwari1532
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Ramji Tiwari

मेरी वजह से कभी किसी का दिल ना दुखे न किसी का अहित हो बस मेरे जीवन की यही प्राथमिकता है

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Ramji Tiwari

*जय सियाराम* 

हमें शौक नही लकीर का फकीर बनने का 
    अपनी तो आदत खुद का रास्ता बनाने की।
मानते हैं किसी को तो दिल से मानते हैं 
    अपनी फितरत नहीं झूठा प्यार जताने की।
हाथ की लकीर पर नहीं विश्वास कर्म पर है 
     गगन को छूना, मेहनत अपनी चरम पर है,
किसी धन्नासेठ के आगे झुके न सर अपना
     अपनी आदत राम के चरण सर झुकाने की।।

      स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  सुप्रभात मित्रों जय सियाराम  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  santosh tiwari  Sudha Tripathi  deepshi bhadauria  Raushni Tripathi  भक्ति सागर

सुप्रभात मित्रों जय सियाराम Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) santosh tiwari Sudha Tripathi deepshi bhadauria Raushni Tripathi भक्ति सागर

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Ramji Tiwari



          *बीच भँवर है नैया*

आस लेके आया, दरबार में तुम्हारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

हमनें सुना बिगड़ी ,सभी की हो बनाते
उलझी जिन्दगियों की लड़ियों को सजाते
मेरा यह जीवन है, तेरे प्रभु सहारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

जमाने की भीड़ में, किसी का न सहारा
कट रहा है जीवन ,प्रभु कष्टों में हमारा
मिट जाएगी हर बाधा, कर दो गर इशारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

बड़ी कठिन डगर है, दिखता नहीं किनारा 
बड़ी मुश्किल से प्रभु जी, हो रहा गुजारा
अपना हाथ रख दो, शीश पर प्रभु हमारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

भूख से बिलखते ,बालक पड़े हैं घर में 
भार ढोते हुए, छाले पड़े हैं सर में 
भूख से मर न जाएँ ,अबोध ये बिचारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

दर से तेरे कोई ,जाता नहीं खाली
आया तेरे दर पर, बनके मैं सवाली
 इन नयनों को दे दो, सुन्दर प्रभु नजारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  जय श्री राधेकृष्ण  Raushni Tripathi  Ritisha Jain  wordsoftannu  Shikha Sharma

जय श्री राधेकृष्ण Raushni Tripathi Ritisha Jain wordsoftannu Shikha Sharma #भक्ति

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Ramji Tiwari

White 

 *गुरु*

गुरु की महिमा का करो,मिलकर सब गुणगान।
गुरु के पावन ज्ञान से,पा लोगे भगवान।।

गुरु आशा का दीप हैं,बाती हैं भगवान।
गुरु की महिमा से मनुज,तू क्यों है अनजान।।

भव सागर से तार दे,गुरू की शक्ति अपार।
गुरु चरणों में जो पड़ा,होता बेड़ा पार।।

चरण शरण में जो पड़ा,पाया ज्ञान अथाह।
गुरु कथनों पर जो चला,मिली उसे ही राह।।

अन्धकार का नाश कर,अंतस करें प्रकाश।
गुरु की पूजा जो करे,होता नहीं निराश।।


       -स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                         उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  #teachers_day  Sudha Tripathi  santosh tiwari  Shikha Sharma  lumbini shejul  Raushni Tripathi  हिंदी कविता

#teachers_day Sudha Tripathi santosh tiwari Shikha Sharma lumbini shejul Raushni Tripathi हिंदी कविता

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Ramji Tiwari



     *हृदय में श्रीहरि को बसा लो*

मन के मैल सभी धो डालो 
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

जपते जाओ हरि की माला 
जो सारे जग का रखवाला 
सच्चे मन हरि कीर्तन गा लो
हृदय में श्री हरि को बसा लो

गिरधारी की सेवा कर लो
चरण शरण श्रीहरि की धर लो
मुरलीधर से प्रीत लगा लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

गीता वचनों को कर धारण
बन जा मानव धर्मपरायण 
 धर्म रक्षा गाण्डीव उठा लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

कष्ट से मिल जाएगी मुक्ति 
कर लो कन्हैया जी की भक्ति 
सोए हुए भाग्य जगा लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

सुबह- सबेरे कर हरि वन्दन
तन- मन हो जायेगा कुन्दन
अपना जीवन सफल बना लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

अपना सबकुछ मान हरी को
कर दे सबकुछ दान हरी को
श्रीकृष्णभक्ति को अपना लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

मोह-माया त्यागकर मन से 
प्रेम कर यशोदानन्दन से 
मन चाहा वर हरि से पा लो
हृदय में श्रीहरि को बसा लो

      ।।योगेश्वर श्री कृष्ण की जय।।

   स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                    उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  #हृदयमेंश्रीहरिकोबसालो Sudha Tripathi  santosh tiwari  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  Shikha Sharma  deepshi bhadauria  भक्ति भजन भक्ति सागर भक्ति गाना भक्ति गीत राधा कृष्ण के भजन

#हृदयमेंश्रीहरिकोबसालो Sudha Tripathi santosh tiwari Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Shikha Sharma deepshi bhadauria भक्ति भजन भक्ति सागर भक्ति गाना भक्ति गीत राधा कृष्ण के भजन

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Ramji Tiwari

White 

        *दिल में बसाना नहीं चाहता* 

किसी से दिल अपना लगाना नहीं चाहता
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

इस मुहब्बत ने बहुत ही रूलाया है हमें
कई दर्द ए गम देकर सताया है हमें 
अब प्यार की पैंगे बढ़ाना नहीं चाहता
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

अपना कहते हैं पर अपना समझते नहीं 
मिलन की फरियाद जो कभी भी करते नहीं 
ऐसे लोगों के घर जाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

खुद को समझते हैं खुदा वो समझते रहें 
अपनी अमीरी रुतबे का दम भरते रहें 
अभिमानी से रिश्ता निभाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

मुहब्बत करके बस दिल को जलाते हैं वो 
अपनी आदतों से कब बाज आते हैं वो 
मैं बार- बार धोखा खाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

हमें प्यार करके कई सारे गम मिले हैं 
हमें चाहनें वाले बहुत ही कम मिले हैं 
बुझी हुई आग फिर जलाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता 

सुकून की तलाश में दर- दर भटकता रहा
भला बनकर भी दिलों में मैं खटकता रहा
विरह में फिर आँसू बहाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

वादा करते हैं मगर कभी  निभाते नहीं 
अपनी बात से मुकर कर भी लजाते नहीं 
झूठ- मूठ के रिश्ते बनाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

झूठे रिश्तों से मैं तन्हा- अकेला ही सही
जहर जैसे प्रेम से तो करेला ही सही
आँसुओं से दामन भिगाना नहीं चाहता 
किसी को भी दिल में बसाना नहीं चाहता

         -स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  #alonelove#alonestory#sadpoem#sadquotes  Sudha Tripathi Author Shivam kumar Mishra Shikha Sharma Raushni Tripathi C N Bajpai

#alonelove#alonestory#sadpoem#sadquotes Sudha Tripathi Author Shivam kumar Mishra Shikha Sharma Raushni Tripathi C N Bajpai #कविता

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Ramji Tiwari



        *दिवाना खाटूश्याम का*

मैं हो गया हूँ दिवाना खाटूश्याम का 
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

दर्शन के बिना एक पल भी चैन नहीं है
बिना श्याम पुकारे कटती रैन नहीं है
कान्हा के सिवा कोई न मेरे काम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

भटक रहा हूं दर दर दिखे नहीं कन्हाई
कोई पता बता दो दे रहा हूं दुहाई 
कहांँ मिलेगा घर मनमोहन घनश्याम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

चलते चलते पैरों से रक्त लगा बहनें
मिल के रहूंगा चाहे अद्याय पड़ें सहनें
 नहीं भय है मुझको अब किसी भी परिणाम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

सुना वृन्दावन रहते हैं मेरे कृपालू
सब पर दया करते हैं मधुसूदन दयालू
मैं हो गया पुजारी कान्हा के नाम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

कृष्ण के दरबार में अर्जी हमें लगानी
दया के सागर को व्यथा अपनी सुनानी
समाधान मिल जाएगा उलझन तमाम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

हमको मनमोहन की सेवा में रहना है
वृन्दावन रहकर राधे- राधे कहना है
कौन ग्राम पड़ेगा मेरे श्री सुखधाम का
कोई मार्ग बता दो वृन्दावन धाम का

       - स्वरचित मौलिक रचना-राम जी    तिवारी"राम"
                    उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  #जयश्रीराधेकृष्ण
#वृन्दावनधामका Sudha Tripathi Author Shivam kumar Mishra deepshi bhadauria Raushni Tripathi

#जयश्रीराधेकृष्ण #वृन्दावनधामका Sudha Tripathi Author Shivam kumar Mishra deepshi bhadauria Raushni Tripathi #Poetry

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Ramji Tiwari

तेरे नैना मधु के प्याले
चितवन कटीली डोरे डाले
जब लहराती खुली जुल्फों को
गगन में छाते बादल काले

©Ramji Tiwari
  #love
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Ramji Tiwari

वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
अपना हो या पराया या कोई किस्मत का मारा 
 हर किसी का दर्द मैं बाँट लेता हूँ
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
जो हो किसी का सताया 
अपने से ही हो धोखा खाया 
बिन कहे हर बात को मैं जान लेता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
दर्द वो जो कह न पायें 
मन ही मन में कसमसायें 
बिन कहे तड़पकर रह जायें 
उनके दिल की हर तड़प हर बात कहता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
कोई रो रहा किसी के वियोग में 
कोई याद में आंसू बहा रहा है 
कोई प्यार में धोखा खाकर 
मन ही मन पछता रहा है
उनके जज्बातों,भावनाओं को पढ़कर 
हर एक मन की बात लिखता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
चाहते थे जो संग जीना ,संग मरना 
मानकर घरवालों का कहना 
त्याग कर अपनी खुशी को 
मजबूरीवश एकदूजे से दूर रहते हैं
टूटा उनका हर एक ख्वाब लिखता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 

-रामजी तिवारी

©Ramji Tiwari #lonely
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Ramji Tiwari

जाति,धर्म, धन दौलत प्रभु राम को नहीं प्यारे हैं 
जिनके ह्रदय प्रभु भक्ति,  प्रेम बसे 
रघुकुल नन्दन वहीं पधारें हैं 
रावण का वध करना होता
 खुद राम नहीं वन को जाते 
लक्ष्मण ही समर्थ थे
 वो ही संहार कर आते 
भक्तों की इच्छा और मुक्ति के खातिर 
स्वयं आप ही वन को चुना 
सबरी,अहिल्या ,बाली,मंदोदरी
 न जानें कितनों की मुक्ति का ताना बाना बुना 
मारे सारे असुर निशाचर 
जन जन को भय मुक्त किया 
मित्रता निभाई सुग्रीव से 
भाई से भाई को भय मुक्त किया 
तोड़ अभिमान सागर का
 अपनी प्रभुता दिखलाई 
सागर से भी बड़ा  प्रण है
 ये सीख मनुष्य को बतलाई 
सौ योजन के सिन्धु में भी
 पाषाणों को भी तैराया है 
कल्पना से भी था जो परे
 उसको करके दिखलाया है 
सत्य और धर्म की स्थापना के निमित्त
 लंकेश का वध कर डाला है 
लालसा नहीं  थी राजस्व या सोने की लंका की 
धर्म ध्वजा फहरानी थी
असत्य को परास्त कर जग में  
सत्य की डंका बजानी थी 
राज धर्म की खातिर 
अति प्रिय सीता का त्याग किया
खुद आप हलाहल पी बैठे
 पर कर्तव्यों का निर्वाह किया 
राजधर्म,पुत्रधर्म, पत्नीधर्म
 हर धर्मों का पालन करते हुए 
आदर्श पुरूष के जीवन को चरित्रार्थ किया 
मानव के उत्तम चरित्र और जीवन की 
हर सीख ही" रामायण" है 
सबसे सुन्दर,सुखदायी गंगा सी जो पावन है 
                जय श्रीराम 

-रामजी तिवारी

©Ramji Tiwari #जयश्रीराम 
#Devotional 
#LordRama 
#historical 
#motivate
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Ramji Tiwari

दीपावली थी आने वाली घर की चल रही थी साफ सफाई 
सब कमरे हो चुके थे साफ अब अन्तिम कमरे की थी बारी 
सीढी से ऊपर जाकर ज्यों ही कमरे का दरवाजा खोला 
देखकर उसकी अस्तव्यस्त दशा को घबड़ा कर मेरा मन भी डोला 
कागज के पुर्जों और तस्वीरों से कमरा पूरा पटा पडा था 
मेरे ठीक सामने ही एक लिफाफा फटा पड़ा था 
झुककर जैसे ही मैनें उसे उठाया
 उससे गिरकर एक तस्वीर मेरी आँखों के सामनें आया 
भूल चुका था जिन यादों को वो यादें फिर से उभर आईं
तस्वीर में मुझको मेरी अनारकली नजर जब आई 
सहसा ही यादों के पन्ने सारे पलट चुके थे
पानी की बूँदों की माफिक आँखों से आँसू टपक गए थे 
मैं उसकी यादों में खोया गुमसुम ऐसे बैठा था 
मानो हो वो पास में मेरे मैं संग उसके बैठा था 
मीठे मधुर कर्ण प्रिय स्वर उसके कानों में खनक रहे थे 
पायल की रूनझुन ध्वनि से दोनों के मन चहक रहे थे 
खुले केशुओं की छाया में मन था मेरा विश्राम कर रहा 
आँखों ही आँखों में मैं प्यार के था छन्द पढ़ रहा 
सहसा ही कानों में मेरे जोरों की आवाज एक आई 
क्यों बुत बनकर बैठे हो क्या हो गई पूरी साफ सफाई

      -रामजी तिवारी

©Ramji Tiwari #यादें 
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#Feeling 
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