आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल
प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती
समुद्र से बादल बन मेंह बनकर फिर
बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में
चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा
आत्मा पवित्र और शुद्ध होती #Bhakti
Mahadev Son
जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा!
जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा!
|वह रे इंसान || #Bhakti
Mahadev Son
ॐ नमो महाकाली रूपम,
शक्ति तु ज्योति स्वरूपम
शुम्भ निशुम्भ को मारा,
रक्तबीज को संहारा
दुष्टों को संहारने वाली,
भक्तों के दुःख हरने वाली,
सन्त गुणी जन सब पूजते, #Bhakti
Mahadev Son
जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष
धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन #Bhakti
Mahadev Son
मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का
भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर
जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा
दूसरे देश जाता जब आया कहाँ से पूछा जाता
जब यहाँ कुंडली बनी तेरी फिर वहाँ न बनी होगी
वहम तेरा सोच ज़रा नकल तो कहीं से हुईं होगी #Bhakti
Mahadev Son
झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ यह नहीं की
हाजिरी लग गई या मुराद पूरी हो जायेगी
दर कहते उसको जिस दर पे झुक जाये सिर खुद ब खुद तेरा आशीर्वाद भी वहाँ अपने आप मिल जाता #Bhakti
Mahadev Son
गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में
पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया
#Bhakti